रविवार, 25 अगस्त 2013

चुहुल - ५७


(१)
मेट्रो ट्रेन में सफर के दौरान एक साहब की जेब में एक जेबकतरे ने हाथ डाल दिया. साहब को मालूम पड़ गया और उन्होंने उसका हाथ दबोच लिया; गुस्से में बोले, “चोर, बदमाश, सरेआम जेब में हाथ डाल रहा है, तुझे शर्म भी नहीं आई?”
इस पर जेबकतरा बोला, “साहब जी, शर्म तो आपको आनी चाहिए, जेब में एक रुपया भी नहीं है.”

(२)
एक मीटिंग हॉल में कई लोग बैठे थे. किसी विषय पर बहस चल रही थी. एक व्यक्ति उठकर बार बार परेशान सा टॉयलेट की तरफ जाकर आ रहा था. बगल में बैठे दूसरे व्यक्ति ने उसकी परेशानी भांपते हुए कहा, “क्या भाई साहब चैन नहीं है क्या?”
वह बोला, “चेन तो है पर खुल नहीं रही है.”

(३)
एक चुहिया अपने बच्चों के साथ घास में छुप कर धूप सेक रही थी. इतने में एक बिल्ली कहीं दूर से आती हुए मालूम हो गयी. चुहिया के एक सयाने बच्चे ने फ़ौरन कुत्ते की आवाज "भों-भों" निकालनी शुरू कर दी, जिसे सुनकर बिल्ली दुम दबाकर भाग खड़ी हुई.
तब चुहिया ने खुश होकर कहा, “एक से ज्यादा भाषा सीखने का ये फ़ायदा होता है.”

(४)
एक भला आदमी किसी सिद्ध महात्मा जी के पास जाकर बोला, “बाबा जी मेरी पत्नी बहुत बदमिजाज और गुस्सैल है. उसका कोई इलाज बताइये.”
महात्मा जी ने उसको नीचे से ऊपर तक निहारा फिर बोले, “इसका इलाज मेरे पास होता तो मैं सन्यासी क्यों बनता.”

(५)
अध्यापक – ये बताओ, बिजली कहाँ से आती है?
विद्यार्थी – मेरे मामा जी के घर से आती है.
अध्यापक – क्या मतलब मैं समझा नहीं?
विद्यार्थी –जब बिजली जाती है तो मेरे पापा बोलते हैं, "सालों ने फिर बिजली बन्द कर दी है."

***

4 टिप्‍पणियां: