शनिवार, 28 सितंबर 2013

शुभम करोति कल्याणम

बहुत से बच्चे बड़े खुशनसीब होते हैं. उनके बचपन में दादा-दादी मौजूद रहते हैं और अपनी गोद में खिलाते हैं. बचपन की वे अनुभूतियाँ उनको जीवन भर प्यार का अहसास कराती रहती हैं. इस कहानी का नायक नानू अभी बारह साल का है. वह स्कूल जाता है और घर आने के बाद अपने दादा जी के संग चिपट कर बैठा रहता है. दादा जी उसका होम वर्क करवाते हैं, और बीच बीच में अपने साठ वर्षों में अर्जित किये हुए अनुभवों को मजेदार ढंग से किस्से कहानियों के रूप में उसको सुनाते भी जाते हैं.

दो साल पहले दादा जी ने नानू को उसके जन्मदिन पर एक संदूकनुमा अच्छा, बड़ा गुल्लक लाकर दिया था, जो इस बीच रेजगारी व नोटों से लगभग ठस भर चुका है. नानू के मन में बहुत दिनों से एक इच्छा घूम रही है कि गुल्लक का सारा रुपया निकाल कर एक नई साइकिल खरीदी जाये. उसके दोस्तों के पास रेस वाली साइकिलें थी, जिनको देख कर ही उसका मन ललचा रहा था. उसने दादा जी को ये बात बताई तो उन्होंने इसके लिए अपनी स्वीकृति दे दी और कहा कि “अगर रूपये कम पड़ जाएँ तो वे अपने पास से पूरा कर देंगे." ये सुन कर नानू की खुशी का पारावार नहीं रहा. एक जुलाय को उसका जन्म दिन आने वाला था. पापा-मम्मी ने भी इसके लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी.

इन दिनों पूरे उत्तर भारत में बहुत ज्यादा बारिश होती रही और उत्तराखण्ड में कई जगहों पर बादल फटने की खबरें आई. तबाहियां होती रही. सबसे ज्यादा त्रासदी तीर्थस्थान केदारनाथ में हुई. दादा जी टीवी पर वहाँ के दृश्य और समाचार देख-सुन कर बहुत विचलित थे. उन्होंने नानू को विस्तार से बताया कि किस तरह श्रद्धालु लोग वहाँ रेत में दब कर मर गए या बह गए तथा अनेकों परिवार उजड़ गए. दादा जी को द्रवित देखकर नानू ने कहा, “हमको भी पीड़ित लोगों की मदद करनी चाहिए.” बहुत भावुक होकर वह अपना गुल्लक लेकर आया और दादा जी से बोला, “आप ये सारा रुपया दान कर दो.”

उसकी त्याग भावना व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी की बात सुन कर दादा जी का मन भर आया. उनको अपने पोते पर गर्व महसूस हो रहा था.

गुल्लक खोला गया तो उसमें पूरे पाँच हजार रुपये निकले, जिन्हे एक स्थानीय सामाजिक संगठन के माध्यम से मुख्यमन्त्री राहत कोष में जमा  करवा दिया. दादा-पोते दोनों को अपने इस कल्याणकारी कृत्य पर बहुत सन्तोष महसूस हो रहा था.

जन्मदिन पर नानू के घर हर साल की तरह उसके दोस्तों को बुलाया गया. बिलकुल सादे कार्यक्रम में जन्मदिन की शुभकामनाएँ और दस्तूरन गिफ्ट दिये गए. नानू का सरप्राइज गिफ्ट दादा जी की तरफ से था. और वह था उसकी मनचाही ‘साइकिल’.
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