(१)
बड़ा बोरिंग क्रिकेट मैच चल रहा था फिर भी स्टेडियम में बैठी एक महिला दूरबीन लगा कर आँखे गड़ाकर देख रही थी. दूसरी महिला ने पूछा, “क्या LBW देख रही हो?”
जवाब मिला, “नहीं बहिन, मैं तो उस खिलाड़ी के स्वेटर की बुनाई देख रही थी.”
(२)
एक छोटा सा बच्चा बाप की गोद में बैठ कर जिद करने लगा कि “मैं शादी करूँगा.”
बाप ने पूछा, “किससे शादी करना चाहता है?”
बच्चा बोला “दादी से.”
बाप ने कहा “अबे, वो तो मेरी माँ है.”
बच्चे ने कहा, “तो क्या हुआ, आपने भी तो मेरी माँ से ही शादी की है.”
(३)
एक आदमी बड़े इन्फीरियोरिटी काम्प्लेक्स से ग्रस्त था. एक बार उसके मन में उमंगें जगी कि ‘क्यों न नेता बना जाये?’ उसने खादी का लंबा कुर्ता व पैजामा सिलवाया और गाँधी टोपी पहन ली. ट्रेन में बैठा तो सभी लोग नेता जी की तरफ घूर घूर कर देख रहे थे. वह सीरियस होकर बैठा रहा. इतने में टी.टी. आया उसने पूछ लिया, “नेता जी आपका शुभ नाम?”
अचानक पूछे गए प्रश्न से नेता जी हक्के-बक्के रह गए. कुछ सोचते उससे पहले उनके मुँह से निकल गया, “सोनिया गाँधी.” टी.टी. थोड़ा मुस्कुराया और बोला, “नाम तो आपका बहुत सुना था, पर दर्शन आज ही हुए हैं.” ऐसा कह कर वह मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया.
(४)
रेल के डिब्बे में पैसेंजर बैठे हुए थे पर सब चुपचाप थे. एक आदमी ने चुप्पी तोड़ते हुए दूसरे मुसाफिर से पूछा, “कहाँ रहते हो?”
उसने जवाब दिया, “नई दिल्ली.”
वार्ता जारी रही. “मैं भी तो नई दिल्ली रहता हूँ. नई दिल्ली में कहाँ रहते हो?”
“कालका जी में.”
“कालका जी में? मैं भी वहीं रहता हूँ. तुम कौन से ब्लोक में रहते हो?
“डी ब्लाक में.”
“अरे, मैं भी डी ब्लाक में रहता हूँ. कौन से नम्बर में रहते हो?”
“२०१ नम्बर में.”
“कमाल है, मैं भी २०१ नम्बर में रहता हूँ.”
उनकी इस वार्तालाप को सुन रहे बगल में बैठा हुआ व्यक्ति बोला, “क्यों हमको बेवकूफ बना रहे हो. एक ही घर में रहते हो और यहाँ रेल में जान पहचान निकाल रहे हो?”
इस पर वह बोला, “भाई, माफ करना, हम तो टाइम पास करने के लिए बातें कर रहे हैं. रिश्ते में हम बाप-बेटे हैं.”
(५)
दो गप्पी आपस में गप लड़ा रहे थे. एक बोला, “मेरे दादा का मकान इतना बड़ा था कि उसकी छत पर चार फ़ुटबाल टीम एक साथ फ़ुटबाल खेल सकती थी. दूसरे गप्पी ने कहा, “मेरे दादा के पास इतना बड़ा बाँस का डंडा था कि ऊपर बादलों को छू जाता था.”
पहले पूछा, "इतना बड़ा बाँस का डंडा रखते कहाँ थे?"
दूसरा बोला, “तुम्हारे दादा की छत पर.”
***
आपके स्नेहिल समर्थन का आभारी हूँ.
जवाब देंहटाएंइस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.
पहली बार आना हुआ आपके ब्लौग पे, बहुत अच्छा लगी आपकी चुहुल! सधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंअहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ,उम्दा ब्लॉग बनाया है आप ने
जवाब देंहटाएंपहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ,उम्दा ब्लॉग बनाया है आप ने
हटाएंआगामी शुक्रवार को चर्चा-मंच पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना charchamanch.blogspot.com पर देखी जा सकेगी ।।
स्वागत करते पञ्च जन, मंच परम उल्लास ।
नए समर्थक जुट रहे, अथक अकथ अभ्यास ।
अथक अकथ अभ्यास, प्रेम के लिंक सँजोए ।
विकसित पुष्प पलाश, फाग का रंग भिगोए ।
शास्त्रीय सानिध्य, पाइए नव अभ्यागत ।
नियमित चर्चा होय, आपका स्वागत-स्वागत ।।
बहुत सुन्दर!
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