रविवार, 1 जुलाई 2012

इश्क


कर बैठे कोई किशोर इश्क
        उसे बस, नादानी कह लीजे,
भरी जवानी इश्क न होवे
        ऐसी जवानी पर लानत दीजे.
करे लगन के बाद इश्क इतर
        उसे बदमाशी का नाम दीजे.
यदि होए इश्क साठ के पार
       तो पकड़, माथे पर जूते दीजे.
पर लगे रोग अस्सी के बाद
       तो दादू पर खास तवज्जो दीजे.
उत्तम कवि की बात लाख की
        ये तो इश्क है, हल्के मत लीजे.
               ***

9 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है!!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 02-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-928 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

    जवाब देंहटाएं
  2. इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब ,के लगाए न लगे और बुझाए न बने .. .बहुत सुन्दर है . बहुत बढ़िया प्रस्तुति .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai

    रविवार, 1 जुलाई 2012
    कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?

    डरा सो मरा
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छा लगा यह विचार कविता में |

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.. {Love is a beautiful feeling, irrespective of age,...}

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया ,

    दिल तो है ही लतखोर, बार बार पिटता है ये ,
    दुर्दशा भूल फिर मोहब्बत करने चला है ये .. :)

    जवाब देंहटाएं
  6. ये तो इश्क है, हल्के मत लीजे.

    पाण्डेय जी हलके में लेने की क्या जरुरत है? पूरी गंभीरता से लीजिए और पूरी तव्वजो भी दीजिए.

    जवाब देंहटाएं