कर बैठे कोई किशोर इश्क
उसे बस, नादानी कह लीजे,
भरी जवानी इश्क न होवे
ऐसी जवानी पर लानत दीजे.
करे लगन के बाद इश्क इतर
उसे बदमाशी का नाम दीजे.
यदि होए इश्क साठ के पार
तो पकड़, माथे पर जूते दीजे.
पर लगे रोग अस्सी के बाद
तो दादू पर खास तवज्जो दीजे.
‘उत्तम’
कवि की बात लाख की
ये तो इश्क है, हल्के मत लीजे.
***
हल्के लेना है तो इश्क मत कीजै..
जवाब देंहटाएंLove is a beautiful feeling, irrespective of age,...
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 02-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-928 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
इश्क पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब ,के लगाए न लगे और बुझाए न बने .. .बहुत सुन्दर है . बहुत बढ़िया प्रस्तुति .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
रविवार, 1 जुलाई 2012
कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?
डरा सो मरा
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बहुत अच्छा लगा यह विचार कविता में |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.. {Love is a beautiful feeling, irrespective of age,...}
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ,
जवाब देंहटाएंदिल तो है ही लतखोर, बार बार पिटता है ये ,
दुर्दशा भूल फिर मोहब्बत करने चला है ये .. :)
क्या बात है.... बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसादर।
ये तो इश्क है, हल्के मत लीजे.
जवाब देंहटाएंपाण्डेय जी हलके में लेने की क्या जरुरत है? पूरी गंभीरता से लीजिए और पूरी तव्वजो भी दीजिए.