विशाल मेगामार्ट के मॉल में
एक नौजवान सेल्समैन टाई के साथ अपनी अनुशासित ड्रेस में था. एक महिला ग्राहक से
बोला, “दीदी प्रणाम”. दीदी ने प्रत्युत्तर दिया “खुश
रहो, मैंने तुम्हें पहचाना नहीं.” तो वह बोला “मैं
शनि, आपके मोहल्ले में शानिदान लेने मैं ही तो आता हूँ.” उस महिला
को बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि काले कपडे, काले टीके और हाथ में तेल की बाल्टी लेकर
चलने वाला आदमी यहाँ बन ठन कर सेल्समैन का काम कर रहा है. वह फिर बोला, “यहाँ
मैं नौकरी करता हूँ. शनिवार को छुट्टी रहती है इसलिए शानिदान लेने के लिए अपने
इलाके में घूमता हूँ.”
इस पूरे प्रकरण पर खोजबीन
करने पर मालूम हुआ कि काशीपुर के पास एक पूरा बड़ा गाँव तेलियों का है, जिनका पुस्तैनी धन्धा शानिदान लेने का रहा है. आपस में इलाके पहले से बंटे
हुए हैं. हर शनिवार को ये लोग दूर दूर तक ट्रेन या बस से जाकर अपने-अपने इलाकों में
तेल और पैसे उगाही करने जाते हैं और रात तक लौट भी आते हैं.
बड़े शहरों में भी देखा जाता
है कि कुछ भिखारी या उनके बच्चे शनिवार के दिन शनिदेव की फोटो और तेल का
डिब्बा लेकर घूमते रहते हैं, खासकर लालबत्ती पर गाड़ी रुकते ही वे हाजिर हो जाते है. शनि के नाम से भीख माँगने का ये सरल
तरीका अपनाया जाता है.
आम लोग अन्धविश्वासी व
धर्मभीरू होते ही हैं, अपनी परम्परागत रूढियों को छोड़ भी नहीं सकते हैं. उत्तर
भारत में जगह जगह शनि देवता के मंदिर भी स्थापित हैं, जहाँ काले रंग के मूछ वाले
शनिदेव की मूर्तिया हैं. पौराणिक गल्पों के अनुसार शनि सूर्यपुत्र हैं और न्याय के
देवता माने जाते हैं. प्राचीन रोमन मिथकों में सैटर्न यानि शनिदेव को कृषि का
देवता माना गया है. ज्योतिष की गणना के अनुसार शनि सभी बारह राशियों में घुमते
रहते हैं. किसी राशि में साढ़े सात वर्षों तक विचरण करते हैं तो कहा जाता है कि उसे
शनि की साढ़ेसाती की दशा आई है. शनि अच्छे फल भी देता बताये जाते हैं, पर ज्यादातर
अमंगल व अशुभकारी फल दिया करते हैं. फलित ज्योतिषियों के पास इसके अनेक विश्लेषण
होते हैं. साथ ही समाधान भी. जिसमें धन दान और तेल दान श्रेष्ठ बताए जाते हैं. शनि चूंकि भयभीत करने वाला ग्रह माना जाता है, लोग हाथ जोड़ कर प्रार्थना करते हैं कि “देव,
आप दूर से ही कृपा बनाए रखना.... आपकी दृष्टि मुझ पर बक्री ना हो.”
आम लोगों में शनि देव का भय इस कदर व्याप्त रहता है कि उनकी राशि मे शनि के आगमन
पर अनेकों तरह के अनुष्ठान व दान किये जाते हैं. कर्मकांडी लोगों ने इस भय को
पीढ़ियों से अपनी कमाई का जरिया भी बना रखा है.
सौर मण्डल (सूर्य का
परिवार) के नौ ग्रहों में शनि ग्रह भी है, जो सबसे दूरी पर है तथा आकार में भी बड़ा
है. इसके गोलाई के बाहर गैस की मोटी मोटी वलियाँ (रिंग्स) हैं. शनि ग्रह के अपने कई
चंद्रमा भी हैं जो उसके चक्कर काटा करते हैं. खगोल शास्त्री शनि के बारे में बहुत
से तथ्य व जानकारियां हासिल कर चुके हैं और अभी इस दिशा में अन्वेषण जारी हैं. ये
वृहद विषय है. इस सम्बन्ध में इंटरनेट पर विद्वान लोगों के बड़े बड़े लेख व चित्र
भी उपलब्ध हैं.
मुंशी प्रेमचंद की कथाओं
में एक पात्र का नाम शनीचरी भी है. नाम थोड़ा अटपटा सा जरूर लगता है पर तत्कालीन
ग्रामीण परिवेश में कथाकार ने बेहद
भावनापूर्ण तरीके से कथानक में उपयुक्त चित्रण करने के लिए विशिष्ट नाम दिया हैं. ‘नाम
में क्या रखा है’ वाली बात नहीं है. नाम में बहुत कुछ राज छिपे होते
हैं. पिछले समय में बड़ी सरलता से नामकरण कर लिया जाता था. ऐसे कई उदाहरण है कि
मंगलवार को कोई पैदा हुआ तो उसका नाम मंगल, मंगल सिंह, या मंगलराम रख लिया, बुधवार का
पैदा हुआ बुधिया, बुधराम, या बुधसिंह हो सकता था. मुसलमानों में भी जुम्मे के दिन पैदा
होने वाले को जुम्मन या जुम्मा खान नाम दिया जाता है. अंग्रेजी उपन्यास 'रौबिनसन
क्रूसो’ में एक चरित्र का नाम ‘फ्राईडे’
इसलिए रखा जाता है क्योंकि वह शुक्रवार को मिला था. पर जिस तरह कोई भी अपने बेटे
का नाम ‘रावण’ नहीं रखते हैं, उसी तरह बेटे का
नाम ‘शनिश्चर’ भी नहीं मिलता है.
राजस्थान–मध्य
प्रदेश में अगर किसी को कोई तेली सुबह सुबह मिल जाता है या किसी शुभ काम के लिए
चलते ही तेली मिल जाये तो कहा जाता है “शनीचर सामने आ गया है, पता
नहीं काम बनता है या नहीं?.” ये पूर्णरूप से अंधविश्वास है.
शनि के विषय में अनेक
भ्रांतियां हैं. यहाँ कूर्मांचल में लोग शनिवार को रिश्तेदारी में, खासकर बीमारों
को देखने के लिए जाने में परहेज करते है. ये अशुभ माना जाता है. कहीं शोक प्रकट
करने जाना हो तब मंगल व शनि का दिन चुना जाता है. पर राजस्थान में इसकी ठीक बिपरीत
सोचा जाता है. हाँ, गृहप्रवेश के लिए शनिवार का दिन उत्तम माना जाता है. ये तमाम
मिथक/व्यवस्थाएं कहीं भी धर्मशास्त्रों में नहीं हैं. लोगों ने खुद बनाए हैं.
हमारा देश इतना विशाल है कि अलग अलग जगह, अलग अलग तरह से अर्थ निकाले जाते हैं.
मेरे एक मित्र ने कन्या
राशि में शनि के प्रवेश होने पर प्रकोप से बचने के लिए मुझे सलाह दी थी कि निम्न
मन्त्र का जाप किया करूँ:
‘कृष्णअन्गाय विदमेह
सूर्यपुत्राय धीमही, तन्नो शोरी प्रचोदयात’.
मन बहलाने के लिए बैठे
ठाले इस प्रकार की चर्चा करना एक अच्छा शुगल है, पर मैं इन सब बातों को गप मानता हूँ.
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हाँ शनिवार को यह दृश्य आम हो जाता है।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें |