रविवार, 11 नवंबर 2012

दीपोत्सव - प्रसंगवश

आज धन-तेरस है. अधिकाँश लोग धन का अर्थ यहाँ पर रुपया-पैसा-दौलत से लगाते हैं. सच तो यह है कि वैद्य धनवंतरि का आज के दिन उदभव हुआ था. पौराणिक गल्पों के अनुसार वे उन चौदह रत्नों में से एक थे जो सुरों व असुरों के द्वारा समुद्र मन्थन में निकले थे. अब व्यवसायिक हित साधने के लिए इसे सीधे सीधे धन से जोड़ दिया गया है. अन्धी दौड़ में सभी चाहते हैं कि उनके पास अधिक से अधिक धन आ जाये. वणिकजन धन संग्रह में ज्यादा प्रवीण होते हैं. अनेक माध्यमों से आम लोगों के दिलों में यह बात बैठा दी गयी है कि आज के दिन सोना, चांदी या बर्तन जरूर खरीदना चाहिए. अंधविश्वास की पराकाष्ठा यहाँ तक है कि पढ़े-लिखे विद्वान कहे जाने वाले लोग भी मोटर-गाड़ी या इस तरह का कीमती सामान खरीदने के लिए इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं. तेरस, त्रियोदशी का अपभ्रंश मात्र है, यानि महीने में शुक्ल और कृष्ण, दो पक्ष, चन्द्रमा के उजाले के हिसाब से आते हैं दोनों में उजाला और अन्धेरा भी बराबर रहता है. त्रियोदशी एक तिथि मात्र है. 

दीपावली खुशियों का त्यौहार है, इसके पीछे अनेक दार्शनिक भाव व कथाएं हैं. यह प्रकाशपर्व कृषक वर्ग से लेकर वणिक वर्ग तक सबके लिए एक श्रेष्ठ संक्रमणकाल होता है. इस बहाने घरों की साफ़-सफाई, मित्र मिलन व खुशियों का आदान-प्रदान होता है. अगले दिन गोवर्धन पूजा का भी विधान होता है, हमारे हिन्दू धर्म की ये विशेषता है कि वर्ष भर कुछ न कुछ पर्व चलते रहते हैं.जिससे जीवन में शून्यभाव पैदा नहीं होता है. दीपावली धन की देवी लक्ष्मी के पूजन का भी बड़ा पर्व होता है. सत्य तो यह है कि पैसे को पैसा खींचता है. जो लोग अभावग्रस्त होते हैं, उन्हें उनकी प्रकृति के अनुसार दूसरों का उल्लास देखकर सुख या दु:ख अवश्य व्यापता होगा.

बारूदी पटाखे वातावरण को बहुत प्रदूषित करते हैं. यह चिंता का विषय है. पटाखों से ध्वनि प्रदूषण भी होता है जिसका खामियाजा बच्चे, बूढ़े व बीमार लोगों को भुगतना पड़ता है.

कुछ धनलोभी लोग दीपावली पर जुआ खेलना भी पर्व का एक आवश्यक कर्म मानते हैं. बिना प्रयास के रातोंरात अमीर बनने का ख्वाब इंसानी फितरत है, लेकिन यह धारणा बिलकुल भ्रांतिपूर्ण है. जुए में अनेक हँसते-खेलते परिवार बर्बाद होते हुए देखे गए हैं. सीख के लिए महाभारत की कथा एक अच्छा उदाहरण है. महाभारत के युगान्तकारी युद्ध की जड़ में जुआ और  बेईमानी ही मुख्य कारक थे.

आज देश में व्याप्त भ्रष्टाचार का श्रोत पूर्णरूपेण धनलिप्सा ही है. गाँधी जी ने कहा था कि धनिक लोगों को खुद को धन के ट्रस्टी के रूप में व्यवहार करना चाहिए, लेकिन आजकल शायद ही कोई ऐसा ट्रस्ट होगा जहाँ भ्रष्टाचार की जड़ें नहीं पहुँच पाई हो.
अंत में उन तमाम गृह स्वामियों/स्वामिनियों को सलाम है जो ‘मनीप्लांट’ को भी कुबेरदृष्टि मानते हैं और धन-तेरस पर इस लतिका की मन से पूजा किया करते हैं. हमने बचपन में नीति के एक दोहे में पढ़ा था:

         गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान ! 
         जब आवे संतोषधन, सब धन धुरि सामान !!

परन्तु यह तो मात्र आप्तोपदेश भर है.
आप सभी को दीपावली की अनेक शुभकामनाओं के साथ.
***

11 टिप्‍पणियां:


  1. दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |
    उत्कृष्ट प्रस्तुति पर बधाई -
    आदरणीय ||

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  2. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  3. बहुत ख़ूब! धनतेरस और दीपावली की ढेरों मंगल कामनाएं!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 12-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1061 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान !जब आवे संतोषधन, सब धन धुरि सामान !!

    रूढ़ परम्पराओं पर प्रहार और नीति की बात कहती है ला -ज़वाब पोस्ट जाले भ्रान्ति के .बधाई .

    सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के मनाये दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    वीरुभाई

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  5. खूबसूरत प्रस्तुति, दीपावली की शुभकामनायें..

    जवाब देंहटाएं
  6. लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .

    जवाब देंहटाएं
  7. सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के मनाये दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    वीरुभाई

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  8. लकीर के फ़कीर बनते चले जाने पे लीक से हटके आपने प्रहार किया है कबीराना अंदाज़ में बधाई .टिपण्णी सुबह भी की थी जाले पे पता नहीं कहाँ बिला गई .बधाई दिवाली चर्चा मंच .

    सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के मनाये दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    वीरुभाई

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