पूरे शहर में चाचा गिल्लौरी को कौन बच्चा नहीं जानता है? वे जिधर को निकल जाते हैं, ‘गिल्लौरी-गिल्लौरी ’, चिल्लाते हुए बच्चे उनके पीछे लग जाते हैं. दरअसल अपने को लोगों की नजर में लाने के लिए बरसों पहले ये फंडा उन्होंने खुद ही ईजाद किया था. शुरू में उन्होंने सड़क चलते बच्चों को टॉफियाँ बांटी और ‘गिल्लौरी’ बोलने के लिए उकसाया, लेकिन अब तो छोटे-बड़े सब जानते हैं कि ये इस शहर का नगीना और कोई नहीं ‘मौलाना गिल्लौरी ’ ही हैं.‘मौलाना’ शब्द भी उनकी खुद कि तिकड़मबाजी से मिला था. हुआ यों कि एक बार वे जब पुरानी दिल्ली की चांदनी चौक में टोपियों की दूकान पर गए तो उनको वहाँ ‘तुर्की टोपी’ बहुत पसंद आई ऐसी टोपी उन्होंने शायर मिर्जा ग़ालिब और मुग़ल सल्तनत के आख़िरी बादशाह बहादुरशाह ‘जफ़र’ के चित्रों में देखी थी. जब वे तुर्की टोपी पहन कर शहर में लौटे तो लोगों की नजर में रातों-रात ‘मौलाना’ हो गए.
मौलाना गिल्लौरी ऐसी ऐसी खट्टी-मीठी बातें निकाल कर लाते हैं कि हर कोई लट्टू हो जाता है. उनके नायाब नुस्खों में मच्छरों से बचाव का जो उपाय है, वह बेहद कारगार है. महज दस ग्राम जीरे से निजात पाया जा सकता है. मौलाना गिल्लौरी बहुत गंभीर मुद्रा में बताते हैं कि “मच्छर को गर्दन से पकड़ लो और एक छोटे चिमटे से उसके मुँह में जीरा फिट कर दो, अगर वह अपना मुँह न खोले तो थोड़ी गुदगुदी करके खुलवाओ. बस वह फिर जीरे को मुंह में लिए लिए फिरेगा, निकाल नहीं पायेगा. हाँ मच्छर पकड़ने में थोड़ी मशक्कत आपको जरूर करनी पड़ेगी”
चाचा गिल्लौरी ने एक बार बच्चों को मोर पकड़ने की तरकीब भी बता डाली कि “शाम होते होते जब मोर अपने ठिकाने पर जाता है तो आप जाकर देख लो कि वह कहाँ बैठता है, सुबह सवेरे अँधेरे में ही जाकर उसकी कलगी में एक टिकिया मक्खन की फिट कर आओ. ज्यों ज्यों धूप खिलेगी गरमी से मक्खन पिघल कर उसकी आँखों में आएगा और वह कुछ समय के लिए अन्धा हो जाएगा. तब आप आराम से जाकर उसको पकड़ सकते हैं.” इस तरह बहुत से फंडे चाचा गिल्लौरी के पास रहते हैं और बच्चे उनका खूब मजा लेते हैं.
यह बात सही है कि वे बच्चों से बहुत प्यार करते हैं. करते भी क्यों नहीं? उनके अपने हरम में ३ बीवियों से १८ छोटे-बड़े बच्चे मौजूद हैं. पूरा घर गुलजार रहता है. पिछली बार मीठी ईद के बाद घर के सभी सदस्यों ने मौलाना से ईदी में सिनेमा दिखाने का वादा लिया था सो, जुम्मे के दिन जब शाहरुख खान-कैटरीना की नई फिल्म लगने वाली थी तो पहले से २१ टिकट (जिनमें दस हाफ टिकट थे) मंगवा लिए गए. सब जने पैदल पैदल सिनेमा हाल के नजदीक पहुंचे ही थे कि एक पुलिस वाले ने मौलाना गिल्लौरी को रोक लिया. पुलिस वाला हाल ही में तबादला होकर यहाँ आया था और मौलाना से अपरिचित था. पुलिस वाला बोला “थाने चलिए”.
मौलाना थाने के नाम से घबरा गए और बोले, "पहले कसूर बताइए. आप जानते नहीं कि हम मौलाना गिल्लौरी है?."
“आप गिल्लौरी हैं या बिल्लौरी, थाने में तो आपको चलना पड़ेगा. इतने सारे लोग आपके पीछे पड़े हुए हैं, घेर रहे हैं, जरूर कोई गड़बड़ मामला लगता है.” पुलिस वाले ने कहा.
जब बच्चों ने खिलखिलाते हुए बताया कि “ये तो हमारे अब्बू हैं,” और मौलाना ने पुलिस वाले के हाथ में ईद का दस्तूर हँसते हुए रखा, तब जाकर आगे बढ़ पाए.
मौलाना गिल्लौरी इस बार कोई बड़ा चुनाव लड़ना चाहते हैं, पर कोई पार्टी उनको घास नहीं डाल रही है इसलिए वे आजाद उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरेंगे. वे चाहते हैं कि उनकी टोपी ही उनका चुनाव चिन्ह हो. उन्हें उम्मीद है कि शहर के सारे बच्चे उन्हें जरूर जीतने में मदद करेंगे.
मौलाना गिल्लौरी ऐसी ऐसी खट्टी-मीठी बातें निकाल कर लाते हैं कि हर कोई लट्टू हो जाता है. उनके नायाब नुस्खों में मच्छरों से बचाव का जो उपाय है, वह बेहद कारगार है. महज दस ग्राम जीरे से निजात पाया जा सकता है. मौलाना गिल्लौरी बहुत गंभीर मुद्रा में बताते हैं कि “मच्छर को गर्दन से पकड़ लो और एक छोटे चिमटे से उसके मुँह में जीरा फिट कर दो, अगर वह अपना मुँह न खोले तो थोड़ी गुदगुदी करके खुलवाओ. बस वह फिर जीरे को मुंह में लिए लिए फिरेगा, निकाल नहीं पायेगा. हाँ मच्छर पकड़ने में थोड़ी मशक्कत आपको जरूर करनी पड़ेगी”
चाचा गिल्लौरी ने एक बार बच्चों को मोर पकड़ने की तरकीब भी बता डाली कि “शाम होते होते जब मोर अपने ठिकाने पर जाता है तो आप जाकर देख लो कि वह कहाँ बैठता है, सुबह सवेरे अँधेरे में ही जाकर उसकी कलगी में एक टिकिया मक्खन की फिट कर आओ. ज्यों ज्यों धूप खिलेगी गरमी से मक्खन पिघल कर उसकी आँखों में आएगा और वह कुछ समय के लिए अन्धा हो जाएगा. तब आप आराम से जाकर उसको पकड़ सकते हैं.” इस तरह बहुत से फंडे चाचा गिल्लौरी के पास रहते हैं और बच्चे उनका खूब मजा लेते हैं.
यह बात सही है कि वे बच्चों से बहुत प्यार करते हैं. करते भी क्यों नहीं? उनके अपने हरम में ३ बीवियों से १८ छोटे-बड़े बच्चे मौजूद हैं. पूरा घर गुलजार रहता है. पिछली बार मीठी ईद के बाद घर के सभी सदस्यों ने मौलाना से ईदी में सिनेमा दिखाने का वादा लिया था सो, जुम्मे के दिन जब शाहरुख खान-कैटरीना की नई फिल्म लगने वाली थी तो पहले से २१ टिकट (जिनमें दस हाफ टिकट थे) मंगवा लिए गए. सब जने पैदल पैदल सिनेमा हाल के नजदीक पहुंचे ही थे कि एक पुलिस वाले ने मौलाना गिल्लौरी को रोक लिया. पुलिस वाला हाल ही में तबादला होकर यहाँ आया था और मौलाना से अपरिचित था. पुलिस वाला बोला “थाने चलिए”.
मौलाना थाने के नाम से घबरा गए और बोले, "पहले कसूर बताइए. आप जानते नहीं कि हम मौलाना गिल्लौरी है?."
“आप गिल्लौरी हैं या बिल्लौरी, थाने में तो आपको चलना पड़ेगा. इतने सारे लोग आपके पीछे पड़े हुए हैं, घेर रहे हैं, जरूर कोई गड़बड़ मामला लगता है.” पुलिस वाले ने कहा.
जब बच्चों ने खिलखिलाते हुए बताया कि “ये तो हमारे अब्बू हैं,” और मौलाना ने पुलिस वाले के हाथ में ईद का दस्तूर हँसते हुए रखा, तब जाकर आगे बढ़ पाए.
मौलाना गिल्लौरी इस बार कोई बड़ा चुनाव लड़ना चाहते हैं, पर कोई पार्टी उनको घास नहीं डाल रही है इसलिए वे आजाद उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरेंगे. वे चाहते हैं कि उनकी टोपी ही उनका चुनाव चिन्ह हो. उन्हें उम्मीद है कि शहर के सारे बच्चे उन्हें जरूर जीतने में मदद करेंगे.
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♥~*~दीपावली की मंगलकामनाएं !~*~♥
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सरस्वती आशीष दें , गणपति दें वरदान
लक्ष्मी बरसाएं कृपा, मिले स्नेह सम्मान
**♥**♥**♥**● राजेन्द्र स्वर्णकार● **♥**♥**♥**
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वाह गिल्लौरीजी जैसे व्यक्तित्वों से देश आबाद है..
जवाब देंहटाएं:):) मौलाना गिल्लौरी नयी पिक्चर देख भी आए ? रोचक
जवाब देंहटाएंBahut khub, Purushotam ji! I liked the post.
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