(१)
डरता हूँ खेल तमाशों में जाने से,
मंदिर या महफ़िल में जाने से
भटके ना कहीं अनजाने में भी
मेरे महबूब की याद तन्हा.
(२)
दम-दिलासा देने वालों ने कहा मुझसे
लगा लो दिल जहाँ में और भी कुछ है.
सूझता है नहीं फकीरी में
कि दिल तो दे दिया कब का, बेचारा खो गया तन्हा.
(३)
दिन होता है तो रात ढूँढता हूँ
रात आती है तो नींद ढूँढता हूँ,
नींद मिल जाये तो ख्वाब ढूँढता हूँ,
ख्वाब आ जाये तो दिलबर को ढूँढता हूँ,
दिलबर मिल जाए तो फिर खुद को ढूँढता हूँ.
हाय! ये ढूँढने का मुसलसर रफत
जिंदगानी बन गयी है तन्हा.
(४)
गुलों से ये गुजारिश है, ना छेड़ें आज खुशबू से
खिजा तुमको भी ना बक्शेगी, हमारा हाल है तन्हा.
(५)
गंधी न दे इत्र मुझको
कि मुझे अब गन्ध नहीं सुहाती है
या पहले ला कर दे दवा मेरी
गन्ध मेरे दिलबर के तन की तन्हा.
***
डरता हूँ खेल तमाशों में जाने से,
मंदिर या महफ़िल में जाने से
भटके ना कहीं अनजाने में भी
मेरे महबूब की याद तन्हा.
(२)
दम-दिलासा देने वालों ने कहा मुझसे
लगा लो दिल जहाँ में और भी कुछ है.
सूझता है नहीं फकीरी में
कि दिल तो दे दिया कब का, बेचारा खो गया तन्हा.
(३)
दिन होता है तो रात ढूँढता हूँ
रात आती है तो नींद ढूँढता हूँ,
नींद मिल जाये तो ख्वाब ढूँढता हूँ,
ख्वाब आ जाये तो दिलबर को ढूँढता हूँ,
दिलबर मिल जाए तो फिर खुद को ढूँढता हूँ.
हाय! ये ढूँढने का मुसलसर रफत
जिंदगानी बन गयी है तन्हा.
(४)
गुलों से ये गुजारिश है, ना छेड़ें आज खुशबू से
खिजा तुमको भी ना बक्शेगी, हमारा हाल है तन्हा.
(५)
गंधी न दे इत्र मुझको
कि मुझे अब गन्ध नहीं सुहाती है
या पहले ला कर दे दवा मेरी
गन्ध मेरे दिलबर के तन की तन्हा.
***
बहुत ही प्यारी रचना..
जवाब देंहटाएंsundar rachana ... abhaar
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंगुलों से ये गुजारिश है, ना छेड़ें आज खुशबू से
जवाब देंहटाएंखिजा तुमको भी ना बक्शेगी, हमारा हाल है तन्हा.
(५)बेहतरीन प्रयोग .बढ़िया अंदाज़े बयानी
Bahut khub Purushotam ji. The last one was matchless!
जवाब देंहटाएं:(
जवाब देंहटाएं