मंगलवार, 26 जुलाई 2011

महानिमंत्रण

हे महाशक्ति ! 
इस देवभूमि में 
इस महाभूमि में
मनु के बेटों की मौतें 
परस्पर विरोधी निदानों से
असह्य हुई जाती हैं.  
      शोषक की हृदयगति 
होने लगी है अवरुद्ध 
विरुद्ध शासन द्वारा 
रुकने पर व्यापारी परमिट ,
     शोषित ऐसे भी हैं असीमित 
जिनके बच्चों के जीवन के परमिट 
शिशिर की ठिठुरती रातों में \ 
द्वितीय प्रहर तक ही है सीमित .
       हे महाक्रान्ति !
        हे महाप्रलय !
हे शम्भु के प्रचंड रूप 
हे अणु के महायुध!
       तुमको कवि का महानिमंत्रण 
धर्म नीति जो भी हो आधार तुम्हारा 
अब तुम्ही इष्ट हो-
परित्राणाय साधुनाम 
करो अब तुम्ही नियंत्रण .
           *** 

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