(राजस्थान के हाड़ोती आँचल की बोली-भाषा में कारगिल युद्ध के समय लिखा गया गीत)
खींचे दुश्मण मायड आँचल
ऊं को हाथ कटानो
चालो जी सीमा चालो ..३
जाग उठो ए माई के पूतों
यो गंग जमण री माटी छै
कसमा मायड री दूध रा
बीरां री यो थाती छे.
आज सारा नै हेरा पाड्यो
सब मिल्क्याने कदम बढ़ो...३
चालो जी सिपाई बढ़ो, कलमा री स्याही बढ़ो
खन्द्का खाई बढ़ो, दारु री दवाई बढ़ो
धोबि र नाई बढ़ो, चलो जी सीमा चलो
खींचे दुश्मण मायड आँचल ऊं को ...
अमर हमीद री याद नै
फेणु.आज जगानो छै
लाल बहादुर नाम रा
बिगुला वाद्य बजानो छै
खेत-खेत खलिहानों में
देश रा पूतो उमड़ पडो...३
चालो जी गोपाल बढ़ो, कबिराकमाल बढ़ो
ताल र बेताल बढ़ो शाल र दुशाल बढ़ो
बाढ र अकाल बढ़ो चालो जी सीमा चालो
खीचे दुश्मण मायड आँचल ऊं को...
भारत रा इतिहास मा
पाठ और मड जानो छै
जीं धरती पर जनम लियो
ऊं खातिर मर जानो छै.
आज एक आवाज कर
दुश्मण पर सब टूट पड़ो ...३
चालो जी बालक बढ़ो, देश रा मालक बढ़ो
मोटरां चालाक बढ़ो, सब्जी र पालक बढ़ो
नगाड़ा ढोलक बढ़ो, चालो जी सीमा चलो
खीचे दुश्मण मायड आँचल ऊं को...
राणा और शिवाजी री
गाथा आज सुणानी छै
बिखरी बानी नेहरू री
माथे आज लगाणी छे
आज अहिंसा गाँधी री
बोल रही तलवार धरो ...३
चालो जी जाकिर बढ़ो, वैद र डाक्टर बढ़ो
कवि र शायर बढ़ो, बातां रा माहिर बढ़ो
बैण! रा खातिर बढ़ो, चालो जी सीमा चलो
खींचे दुश्मण मायड आँचल ऊं को...
तात्या टोपे कुम्भा बण
जौहर आज बताणों छै
हल्दीघाटी के गौरव नै
फेणु आज जगानो छै.
प्यास बुझाबा को तलवारो
दुश्मण का सर कलम करो ...३
चलो जी सिंह बढ़ो, हुकुमसिंह बढ़ो
दारासिंह बढ़ो, तारासिंह बढ़ो
हीरा हिंग बढ़ो, चलो जी सीमा चलो
खीचे दुश्मण मायड आँचल ऊं को ..
मर्दों का पोशाका में
जैसे राणी झांसी री
बैण! बेटी चंडी बण
शान बढाओ शौहर री.
आज परिच्छा थारी री
तोपां सों सुहाग भरो...३
चालो जी कमला बढ़ो, राणी विमला बढ़ो
बी बिस्मिल्ला बढ़ो, शशिकला बढ़ो
आला र बला बढ़ो, चलो जी सीमा चलो
खीचे दुश्मन मायड आँचल ऊं को ...
आज दिखानी दुनिया नै
ताकत अपने हाथां री
मर जाणो या तर जाणो
कसमा अपने माथा री
शान बढ़ेगी भारत री
शहीदों में सब नाम करो...३
चलो जी मोबीन बढ़ो, मोहम्मद अमीन बढ़ो
जोजफ मार्टीन बढ़ो, घी तेलां रा टीन बढ़ो
बन्दूका छीन बढ़ो.चलो जी सीमा चलो.
खीचे दुश्मण मायड आँचल
ऊं को हाथ कटानो
चलो जी सीमा चलो.
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sundar...ati sundar.. bhav-pradhan kavita k liye badhai...
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