हकीम इकबाल अहमद का कद ४ फुट से कम था इसलिए बचपन से ही वह साथियों व मोहल्ले वालों के फब्तियों के शिकार होते रहे. इससे एक तरह का इन्फीरियोरिटी काम्प्लेक्स उनको रहता था. लेकिन वे थे बड़े अध्ययनशील आदमी, उन्होंने हिकमत की सारी किताबे छान मारी और एक दिन उनको आदमी का कद बढ़ाने वाली दवा का सूत्र मिल गया. बस, फिर क्या था, उन्होंने उस माजून के फार्मूले से एक बोतल भर कर गोलियां बना डाली.
परीक्षण के लिए उन्होंने तुरन्त एक गोली खाई, जिसका चमत्कारिक असर हुआ उनकी लम्बाई एक सेंटीमीटर बढ़ गयी. उत्साहित होकर उन्होंने कुछ और गोलियाँ खाई तो सचमुच लम्बाई बढ़ती गयी. वे अति उत्साहित हो गए. धीरे-धीरे बोतल की सारी गोलियाँ खुद ही निगल गए. दवा तो दवा है, ओवर डोज हो गयी और लम्बाई के साथ-साथ खुद लंबे हो गए.
लोगों ने देखा हकीम साहब इंतकाल फरमा गए हैं तो रस्मों के अनुसार कब्रिस्तान में दफ़न कर आये. दवा का असर वहां भी जारी रहा. मुर्दा लंबा होता रहा.
अगली सुबह कब्रिस्तान के चौकीदार ने देखा कि कब्रिस्तान के दूसरे मुर्दे उठ उठ कर भाग रहे हैं, तो उसने उनको आवाज दी, “भाईयो इस तरह मत जाओ, मेरी नौकरी चली जायेगी.”
मुर्दे बोले, “माफ करना, जब से हकीम साहब अन्दर आये हैं, हमारे कब्रों में हाथ घुसेड कर गुलगुली मचा रहे हैं. हम गुलगुली सहन नहीं कर सकते इसलिए जगह छोड़ कर जा रहे हैं.”
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(२)
एक ग्रामीण महिला भारी बोरा उठा कर बस में चढ गयी और बोरे को सीट के नीचे सरकाने लगी तो कंडक्टर ने कहा, “बहन जी इतना बड़ा बोरा ले कर जा रही हो इसका पूरा टिकट लगेगा.”
महिला चिरौरी करने लगी पर कंडक्टर पूरा किराया लेने पर अड़ गया.
महिला ने बोरा ऊपर खींचते हुए खोल डाला और बोली, “मुन्ने के बापू, जब ये पूरा किराया ले रहा हैं तो बोरे में घुस कर क्यों जाते हो, ऊपर सीट पर आ जाओ.”
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(3)
एक नव विवाहित जोड़ा रेल में सफर कर रहा था. आजकल के लड़के लड़कियों को सिनेमा ने ज्यादा ही बेशरम बना दिया है. वह लड़का सरेआम अपनी पत्नी को बात बात में चूम रहा था. एक बुजुर्गवार ने पूछ ही लिया, “बेटा तुम बार बार ये हरकत क्यों कर रहे हो?”
लड़का शरारतन बोला, “ताऊ, मैं डाक्टर हूँ और ‘किसिंग थेरेपी’ (चुम्बन द्वारा ईलाज) का स्पेशलिस्ट हूँ. मैं इस लडकी का ईलाज कर रहा हूँ.”
ताऊ ने पूछा, “तो डाक्टर साब आप चुम्बन से सभी बीमारियों का इलाज का लेते हो?”
लड़का बोला “बेशक.”
ताऊ भोलेपन से बोला, “तब तो बेटा मेरे ‘पाइल्स’ का ईलाज भी तुमको ही करना पडेगा.”
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(४)
गाँव के स्कूल में एक चटोरे मास्टर जी आ गये. अपने लिए बच्चों से आये दिन खीर मंगवाने लगे. बच्चे भी खुश हो कर घर से लाने लगे. एक दिन एक गरीब लड़के को उन्होंने खीर लाने को कह दिया, जिसके घर पर न दूध था और ना चावल. उसकी विधवा माँ ने इधर-उधर से मांग कर जैसी भी बन सकी बिना शक्कर के खीर बना कर एक डिब्बे में डाल कर भिजवाया. मास्टर जी ने जब खीर चखी तो वह बिलकुल बेस्वाद थी. उन्होंने डिब्बा सहित खीर गटर में डाल दी.
बच्चा रोने लगा. मास्टर जी ने मुँह बिगाड़ते हुए कहा, “एक तो इतनी रद्दी खीर लाया, अब रोता क्यों है?
“माँ मारेगी,” बच्चा बोला.
“क्यों मारेगी?” मास्टर जी ने आगे पूछा.
बच्चा रुआँसे स्वर में बोला, “आपने हमारे लैट्रिन वाले डब्बे को गटर में फेंक दिया है.”
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(५)
एक वनिक आत्मा जब यमराज जी के आफिस में लाई गयी तो उन्होंने चित्र गुप्त से कहा कि उसका रिकार्ड देख कर बताएं कि स्वर्ग या नरक किसमे हकदारी बनाती है.
इस पर वह आत्मा बोली, “यमराज जी, मैं न तो स्वर्ग में जाना चाहता हू ना नरक में, आप मुझे दोनों कॉलोनियों के गेट के बीच में एक दस बाई दस फुट की जगह दे दीजिए. मैं वहीं पर अपनी दूकान लगा कर दोनों तरफ के ग्राहकों को सम्हाल लूंगा.”
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जवाब देंहटाएंवाह, बहुत चटपटे-----
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यगात्म्क कहानिया मज़ा आया पढ़कर आभार....
जवाब देंहटाएंसमय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है