इन पंक्तियों का लेखक भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का डिग्रीधारी स्नातक है. आयुर्वेद विशारद व आयुर्वेद रत्न की परीक्षाएं क्रमश: १९६५ व १९६७ उतीर्ण करने के बाद इन्डियन मैडीसिन बोर्ड राजस्थान द्वारा पंजीकृत चिकित्सक है.
विश्व में अलग-अलग देशों-महाद्वीपों में अपने अपने ढंग से चिकित्सा पद्धतियाँ विकसित होती रही हैं. यद्यपि एलोपैथी को आज विश्व भर में एक वैज्ञानिक पद्धति के रूप में मान्यता है पर देशी चिकित्सा पद्धतियाँ भी लंबे अनुभव व प्रयोगों के बाद विश्वसनीय हुई हैं. आयुर्वेद को तो पांचवा वेद कहा जाता है. वर्तमान काल में इन पद्धति में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खोज व पड़ताल की जा रही है.
इन सब से परे, कुछ नुस्खे ऐसे भी हैं जो किताबों में नहीं मिलेंगे, पर टोटकों की तरह काम कर जाते हैं. मैं अपनी एक आप बीती अपने पाठकों तक पहुंचाना चाहता हूँ.
मैं जब लगभग ३० वर्ष का था तो मुझे ‘हाइपर एसिडिटी’ यानि अम्ल-पित्त की शिकायत रहने लगी थी. ज्यादा धूप, सेवन, रात्रि जागरण तथा तला हुआ भोजन, अचार-खटाई, या गरिष्ट मसालेदार तीखा भोजन अम्ल-पित्त के दायक हैं. आमाशय-भोजन नली में जलन तथा इसके उग्र होने पर उल्टी व सर दर्द जैसी तकलीफ होने लगती है. चूँकि मैं दवाओं के नजदीक रहता था इसलिए ईनो, नीबू-सोडा, ठंडा दूध के साथ एंटएसिड, एसीलौग, रिनाटीडीन जैसी एलोपैथिक दवाएं अथवा आयुर्वेदिक दवा अविपत्तिकर चूर्ण, शतावरी मंडूर, शंखादि चूर्ण, यवक्षार आदि का लाक्षणिक प्रयोग, उपलब्धि के अनुसार करता रहता था.
बीमारी में ईलाज से ज्यादा परहेज काम करता है. इसलिए जिन कारणों से अम्लपित्त उछलता है, मैं उससे बचने का उपाय नियमित करता था और ये नित्यक्रम था क्योंकि मुझे ज्ञान था कि अम्लपित्त से पेप्टिक अल्सर या डीयूडेनल अल्सर होने का ख़तरा रहता है. समय समय पर पेट का शंख साफ़ रखने से भी पित्त की मात्रा कम हो जाती है. दरअसल अम्ल-पित्त का कारण आमाशय की दीवारों में संचित हाइड्रोक्लोरिक एसिड व पेप्सिन नामक एंजाइम का जरूरत से ज्यादा स्राव होना है.
मुझे मालूम है कि एक बहुत बड़ी जनसंख्या इस रोग से पीड़ित है और इसी तरह ईलाज करके रोग को दबाते रहते हैं.
मेरी पूज्य माताश्री ८७ वर्ष की पूरी उम्र जी कर सन १९९७ में प्राकृतिक मृत्यु पाकर इस लोक से विदा हो कर गयी. जेष्ठ पुत्र होने के नाते मैंने उनका क्रियाकर्म कुमायूँ के पारम्परिक विधि-विधान से किया. सूतक काल के लिए आप्त-वचन भी है कि पिता की मृत्यु की दशा में दही का सेवन वर्जित है तथा माता की मृत्यु की दशा में दूध का सेवन वर्जित है. मैंने भी इस नियम का श्रद्धा पूर्वक पीपल पानी (१२ दिनों) तक पालन किया. मैं बिना दूध की काली चाय पीता रहा. चूँकि माताश्री बसंत पंचमी को स्वर्ग सिधारी थी और शांतिपुरी (पन्तनगर के निकट) बहुत कोहरा व ठण्ड का प्रकोप था, इसलिए चाय में काली मिर्च का प्रयोग जम कर होता रहा था. वैसे भी पहाड़ी जनपदों के लोग काली मिर्च का ज्यादा ही प्रयोग करते हैं.
अब इसको किस रूप में लिया जाये, माँ का आशीर्वाद या काली मिर्च का चमत्कार, कि मेरी हाइपर एसीडिटी एकदम छूमंतर हो गयी. जैसे कि कभी थी ही नहीं. अम्ल-पित्त के डर से मैं जिन परहेजों का पालन करता था अब बिलकुल भूल गया हूँ. मुझसे अम्लपित्त के लिए सलाह चाहने वालों को मैं ये अनुभूत योग बताता रहता हूँ. साथ में ये कहना नहीं भूलता हूँ कि पहले अरंडी के तेल से पेट साफ़ करना ना भूलें.
***
असाधारण अनुभव प्रदान करने हेतु आभार,
जवाब देंहटाएंअनुभव बांटने का आभार.
जवाब देंहटाएंक्या जिन लोगों को आपने ये अनुभव बतायें उन्होंने इस प्रयोग को आजमाया? अगर आजमाया तो क्या उन्हें भी हाइपरएसिडिटी से राहत मिली? कृपा करके बतायें। महोदय मेरी उम्र 33 वर्ष है। और मैं हाइपरएसिडिटी से बहुत ही ज्यादा परेशान रहता हूँ। असहनीय पीड़ा होती है। 2-3 दिन खाना खाये हो जाते हैं। भूख ही नहीं लगती। भूख लगती भी है तो जलन की वजह से खाया ही नहीं जाता। एंडोस्कोपी वगैरहा जांच सभी नॉर्मल हैं।
जवाब देंहटाएंरमन शर्मा
09953701282
क्या जिन लोगों को आपने ये अनुभव बतायें उन्होंने इस प्रयोग को आजमाया? अगर आजमाया तो क्या उन्हें भी हाइपरएसिडिटी से राहत मिली? कृपा करके बतायें। महोदय मेरी उम्र 33 वर्ष है। और मैं हाइपरएसिडिटी से बहुत ही ज्यादा परेशान रहता हूँ। असहनीय पीड़ा होती है। 2-3 दिन खाना खाये हो जाते हैं। भूख ही नहीं लगती। भूख लगती भी है तो जलन की वजह से खाया ही नहीं जाता। एंडोस्कोपी वगैरहा जांच सभी नॉर्मल हैं।
जवाब देंहटाएंरमन शर्मा
09953701282
कृपया आप होम्योपैथिक इलाज करवाये
हटाएंThanks for sharing your useful post. Acidity natural treatment is proven to be safe and effective. It has no ill health effects.
जवाब देंहटाएंAcidity or acid reflux can be cured naturally. You will get complete relief from acidity without side effect.
जवाब देंहटाएंNice post. Acidity is a major problem these days. Acidity herbal treatment works better for all age man and women.
जवाब देंहटाएंNice post sir
जवाब देंहटाएंमुझे सिने मे बहुत जलन होता है
जवाब देंहटाएं