जर्मनी में स्टुअर्ट हेनीमैंन नाम का एक लड़का रेल द्वारा बर्लिन से डोरमोंड जा रहा था, वहाँ के क़ानून के अनुसार १७ वर्ष की उम्र तक के किशोरों को आधा रेल किराया देना होता है. यात्रा के बीच में रात १२ बजे तारीख बदलते ही हेनोवर शहर आया तो वह लड़का खुशी से रेल अधिकारी के पास गया और शेष यात्रा के लिए पूरे किराए की रकम देकर बोला, “सर, मैं अब पूरे १७ वर्ष का हो गया हूँ.” रेलवे अधिकारी ने मुस्कुराते हुए उसका किराया लिया, रसीद काटी और बोला, “बधाई है.”
यहाँ हमारे देश में, एक सज्जन उम्र ६० वर्ष, सीनियर सीटीजन का रियायती टिकट (रेलवे के नियमानुसार ६५ वर्ष उम्र होने के बाद यह सुविधा प्राप्त कर सकते हैं) लेकर दिल्ली से लखनऊ का सफर कर रहे थे. टिकट चेकर द्वारा आयु का प्रमाण माँगने पर वे बहुत उत्तेजित हो गए और बहस पर उतर आये. उनका तर्क था कि वे दिल्ली में केन्द्रीय सरकार की ३८ वर्ष की सेवाओं के बाद रिटायर हुए हैं. अपने सफ़ेद बालों का भी वास्ता देने लगे. लेकिन टिकट चेकर उम्र प्रमाण पत्र पर अड् गया. जुर्माने की धमकी भी दे दी तथा उसने रेलवे सुरक्षा गार्ड के दो सिपाहियों को भी बुला लिया.
बाजी हाथ से जाते देखकर उस सज्जन ने सौ सौ रुपयों के दो नोट निकाल कर टिकट चेकर को गुप्त अंदाज में
पकड़ा दिए. टिकट चेकर ने नोटों को देखा और फिर बोला, “एक नोट और दो.”
सज्जन ने एक नोट और निकाल कर दिया जिसे टिकट चेकर ने सिपाहियों की तरफ बढ़ा दिया और चले जाने का इशारा कर दिया. खुद दो सौ रूपये अपनी जेब में डाल कर अगले यात्री से पूछताछ करने लगा.
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jwallahaint prashn hai ye------sabhi ko bichaar karnaa hee parega, aaj nahin to kal.------'kewal'
जवाब देंहटाएंअब यह बीमारी किसी को होती है :):) सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंसरकार द्वारा प्रदत्त लाभों का फायदा हर व्यक्ति उठाना चाहता है। क्योंकि सरकार की सम्पत्ती को अक्सर लोग अपनी ही समझते हैं और सरकार को पैसा देना फिजूल समझते हैं।
जवाब देंहटाएंajit ji ki baat se poori tarah sahamat hoon....
जवाब देंहटाएंपुरूषोत्त्म जी नमस्कार, सत्य कहा आपने जब त्क ईमान्दारी का यही ज्ज्बा हमारे देश के नागरिको मे नही आयेगा तब तक यही हाल रहेगा। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
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