एहसान तो कुत्ते पर भी बहुत
होते हैं,
उसको लाड़ भी बहुत मिलता है,
लेकिन वह दुम हिला देता है,
हवा
नहीं करता है.
तुझे पैदा ही किया है केवल,
तेरी जगह पर बहुत ऊपर है,
बस, बटन दबाने की देर है.
चलने या रुकने के लिये.
मगर ऐसे भी इन्सान बहुत हैं,
जो बड़ी बेहयाई से तोताचश्म बनकर
पैदा करने वाले की आन को-
मिट्टी में मिलाते हैं शान से.
ऐ गुणों के खान
तू माथे पर ही रहेगा इन्सान के
चुका ना पायेगा बदला कभी-
तेरे एहसान का.
***
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
चर्चा मंच सजा दिया, देख लीजिए आप।
टिप्पणियों से किसी को, देना मत सन्ताप।।
मित्रभाव से सभी को, देना सही सुझाव।
शिष्ट आचरण से सदा, अंकित करना भाव।।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।