मैंने तो उसको उसकी ढलती
उम्र में देखा था. कस्बे में डॉक्टर, नर्सें, दाईयां और झोलाछाप डॉक्टर बहुत से थे, पर प्यारी दाई की अपनी ही विशिष्टता थी. उसे गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव
कराने में महारत हासिल थी इसलिए ऐसे मौकों पर उसको प्राथमिकता के आधार पर याद किया
जाता था और बुला लिया जाता था.
वह अस्पताल से भी सम्बंधित थी
इसलिए उसकी उपलब्धता भी रहती थी. जाति से वह एक मुसलमान नाईंन थी, लेकिन हिन्दू
बहुल समाज में अपने व्यवहार और
कार्यकुशलता की वजह से जाति व धर्म कभी भी उसके आड़े नहीं आये. अधिकाँश लोग उसे ‘बुआ’
के नाम से पुकारा करते थे. वह सवाईमाधोपुर जिले के एक छोटे से गाँव मलारना से आई
थी. इस गाँव के अधिकाँश पुरुष नाई तथा जर्राह का काम किया करते थे. इन्द्रगढ़ (बूंदी) रियासत, के जमाने में कई परिवार रोजगार के लिए वहाँ आ गए थे, इसी सिलसिले
में जब लाखेरी में सीमेंट कारखाना बना तो उनकी दस्तक यहाँ भी हो गयी.
प्यारी दाई पढ़ी लिखी नहीं
थी, लेकिन वर्षों से डॉक्टरों/नर्सों की सोहबत में उसने प्रसव सम्बन्धी सभी
प्रक्रियाओं, इंस्ट्रूमेंट्स तथा आवश्यक औषधियों/इंजेक्शनों की बारीक जानकारी हो
गयी थी. अगर शुरू से हिसाब रखा जाता तो प्यारी दाई द्वारा प्रसव कार्यों की लिस्ट
इतनी बड़ी होती कि कोई रिकार्ड अवश्य बना होता.
रात-बेरात कभी भी उसकी
जरूरत पड़ती तो लोग उसे साइकिल पर बिठाकर बुला लाते. साईकिल की सवारी में तो उसे
रास्ते में दो बार दुर्घटनाग्रस्त भी होना पड़ा. उसके मुँह के सामने के चार नकली
दांतों का रहस्य यही था कि वे साईकिल दुर्धटना में टूट गए थे.
प्यारी बुआ की एक बेटी थी
और एक बेटा था. प्यारी की नेकी और सेवाओं को देखते हुए उसके बेटे बशीर मोहम्मद को
करीब ४५ वर्ष की उम्र में बतौर वेल्डर सीमेट कारखाने में काम पर रखा लिया गया था, लेकिन
कुछ वर्षों के बाद हृदयाघात से उसकी मृत्यु हो गयी थी. बशीर की चार बेटियाँ व दो
बेटे हैं, जिनमें से दो बेटियाँ व एक बेटा गूँगे-बहरे हैं. ये प्रकृति का खेल कभी कभी
सोचने को मजबूर करता है कि अच्छे लोगों के साथ ऐसा क्रूर व्यवहार क्यों होता होगा?
कई वर्ष पहले ‘बुआ
प्यारी’ इस दुनिया से रुखसत हो गयी थी, लेकिन उसकी यादें लाखेरी के
लोगों के जेहन में आज भी ताजा हैं.
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very few people so remember the goodness of people. more few who express it so beautifully to the world.It is a great tribute to an unsung heroine of real life
जवाब देंहटाएंअंकल आपने बहुत अच्छा सवाल उठाया है,कि अच्छे लोगों के साथ ऐसा क्रूर व्यबहार क्यों होता है.मेरे मन में भी ये सवाल कई बार उठा है.पुराने लोग तो यह कह कर टाल देते है कि पिछले जन्म के कर्मो का फल है.परन्तु मेरा मन यह मानने को तैयार नहीं होता,यह कैसा पिछले जन्मो का फल है जिसके बारे में हमें कुछ याद भी नहीं है.कभी कभी इन बातो को देखकर भगवन के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाता है.
हटाएंaap ne theek bola , magar isi ka naam zindgi hai hum toe bus us ke haath ke mohre hain jahan keh deta hai wahin se chal dete hain. sad though !
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