(१)
एक सज्जन रात्रिभोज के लिए
एक बिलकुल घटिया किस्म के रेस्टोरेंट मे गया. उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसका एक
बचपन का दोस्त वहाँ पर बैरा बन कर काम कर रहा था. उसने उससे जाकर कहा, “यार,
तुझे ऐसे घटिया रेस्टोरेंट मे काम करते हुए शर्म नहीं आती?”
दोस्त बोला, “शर्म
तो मुझे यहाँ खाना खाने में आती है.”
(२)
आफिस से एल.टी.ए. लेकर
विवेकसिंह सपरिवार आगरा घूमने गया. आगरा दो खास बातों के लिए प्रसिद्ध है--एक
तो ताजमहल और दूसरा वहाँ का पागलखाना (मनोचिकित्सालय).
जब छुट्टियाँ बिता कर विनोद
अपने आफिस पहुँचा तो उसके सहकर्मी दयाचंद ने उसकी चुहुल करने के लिए मजाकिया
अंदाज में पूछा, “क्यों, आगरा गए थे?”
विनोद ने कहा, “हाँ.”
दयाचंद ने फिर उसी लहजे में कहा, “क्या कहते हैं वहाँ के डॉक्टर?”
विनोद उसका मतलब समझ गया, और उसी लहजे मे सटीक जवाब दिया, “बोल रहे थे कि मरीज को साथ क्यों
नहीं लाये? अब बता, तू कब चलेगा?”
(३)
एक सज्जन अपने घर के बरामदे
में अपने दो स्कूल जाने वाले बेटों को उनके परीक्षा रिजल्ट पर बुरी तरह डांट रहे थे. गुस्से में उनको एक एक चपत भी रसीद कर दी.
पड़ोसी व्यक्ति ने कहा, ”बच्चों
को क्यों डाट रहे हो, रिजल्ट तो कल आने वाला है?”
वह बोले “अरे
भाई, मैं कल शहर से बाहर जाने वाला हूँ इसलिए कल का काम आज ही कर रहा हूँ.”
(४)
एक लड़के ने एक लड़की को शादी
के लिए प्रस्ताव रखने के लिए एक महंगी हीरे की अंगूठी खरीदी, और उसके पास गया. लड़की
ने सीधे सीधे कह दिया कि “मैं किसी और से प्यार करती हूँ,
तुम्हारी अंगूठी स्वीकार नहीं कर सकती.”
लड़का बोला, “क्या
तुम मुझे उसका पता दे सकती हो?”
लड़की घबराते हुए बोली “क्यों,
तुम उसे मारना चाहते हो?”
लड़के ने मायूसी के साथ कहा, “नहीं,
मैं उसे ये अंगूठी बेचना चाहूँगा.”
(५)
एक थानेदार ने किसी तस्कर
से ५००० रुपयों के जाली नोट पकड़े और अपने जिला मुख्यालय को इसकी सूचना भेज दी.
मुख्यालय से जवाब आया कि “सभी जाली नोट यहाँ भेज दो.”
थानेदार ने पत्र द्वारा
सूचित किया कि "सभी जाली नोट पोस्टल आर्डर के मार्फ़त आपको भेज दिये गए
हैं."
***
jawaab nahi aapka Sir....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंमजेदार .. बहुत मजेदार
Pandey ji , pranam
जवाब देंहटाएंbahut sundar srijan, badhai.
प्रिय महोदय
"श्रम साधना "स्मारिका के सफल प्रकाशन के बाद
हम ला रहे हैं .....
स्वाधीनता के पैंसठ वर्ष और भारतीय संसद के छः दशकों की गति -प्रगति , उत्कर्ष -पराभव, गुण -दोष , लाभ -हानि और सुधार के उपायों पर आधारित सम्पूर्ण विवेचन, विश्लेषण अर्थात ...
" दस्तावेज "
जिसमें स्वतन्त्रता संग्राम के वीर शहीदों की स्मृति एवं संघर्ष गाथाओं , विजय के सोल्लास और विभाजन की पीड़ा के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र की यात्रा कथा , उपलब्धियों , विसंगतियों ,राजनैतिक दुरागृह , विरोधाभाष , दागियों -बागियों का राजनीति में बढ़ता वर्चस्व , अवसरवादी दांव - पेच तथा गठजोड़ के दुष्परिणामों , व्यवस्थागत दोषों , लोकतंत्र के सजग प्रहरियों के सदप्रयासों तथा समस्याओं के निराकरण एवं सुधारात्मक उपायों सहित वह समस्त विषय सामग्री समाहित करने का प्रयास किया जाएगा , जिसकी कि इस प्रकार के दस्तावेज में अपेक्षा की जा सकती है /
इस दस्तावेज में देश भर के चर्तित राजनेताओं ,ख्यातिनामा लेखकों, विद्वानों के लेख आमंत्रित किये गए है / स्मारिका का आकार ए -फॉर (11गुणे 9 इंच ) होगा तथा प्रष्टों की संख्या 600 के आस-पा / विषयानुकूल लेख, रचनाएँ भेजें तथा साथ में प्रकाशन अनुमति , अपना पूरा पता एवं चित्र भी / लेख हमें हर हालत में 30 जुलाई 2012 तक प्राप्त हो जाने चाहिए ताकि उन्हें यथोचित स्थान दिया जा सके /
हमारा पता -
जर्नलिस्ट्स , मीडिया एंड राइटर्स वेलफेयर एसोसिएशन
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दमदार..
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