सोमवार, 5 नवंबर 2012

चुहुल - ३६

(१)
एक दार्शनिक व्यक्ति अपने विचारों में कहीं गहरे खोये हुए थे. पत्नी ने झकझोरते हुए पूछा, “अब किस सोच में पड़े हुए हो?”
दार्शनिक बोले, “मैं सोच रहा था कि दुनिया में यदि एक भी बेवकूफ न बचे तो कैसा होगा?”
पत्नी ने झल्लाते हुए कहा, “हमेशा अपने ही बारे में सोचते रहते हो, कभी घर के कामकाज की चिंता भी किया करो.”

(२)
एक कबाड़ खरीदने वाला गली में आवाज देता हुआ जा रहा था. गृहिणी ने आवाज सुनी और खिड़की खोलकर उससे पूछने लगी, “क्या क्या खरीदते हो?”
कबाड़ी ने जवाब दिया, “नया पुराना जो भी आप बेचना चाहती हैं, सब ले लूंगा.”
इस पर महिला ने कहा, “शाम को ५ बजे बाद आना इस वक्त मेरे पति घर में नहीं हैं.”

(३)
गुरू जी संस्कृत पढ़ा रहे थे. उसके बारे में कह रहे थे, "यह देवताओं की भाषा है. इसीलिये संस्कृत को देवभाषा भी कहा जाता है.” वे आगे बोले “हमारे पूर्वज देवता थे.”
इस पर एक लड़के ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “गुरू जी, मेरे पिता जी तो बता रहे थे कि हमारे पूर्वज बन्दर थे.”
गुरू जी ने शालीनता से उत्तर दिया, “मैं तुम्हारे खानदान की बात नहीं कर रहा हूँ.”

(४)
एक नवविवाहित जोड़ा मधु मिलन के लिए शिमला गया. वहाँ होटल में एक कमरा एक सप्ताह के लिए बुक कराया. मैनेजर ने कमरे का किराया ५०० रूपये प्रतिदिन बताया. उन्होंने किराए के ७ दिनों के ५०० रूपये के हिसाब से सात दिनों के लिए ३५०० रूपये अलग से रिजर्व रख लिए.
सात दिनों के प्रवास बाद जब होटल से चेक आउट का समय आया तो युवक पेमेंट करने के लिए काउंटर पर गया तो मैनेजर ने ६००० रुपयों का बिल बताया. इस पर युवक ने कहा, “आपने किराया तो ५०० रूपये रोज बताया था?”
मैनेजर बोला, “हाँ, सही बताया था. शेष २५०० रूपये आप लोगों के खाने का बिल है”
युवक ने कहा, “हमने खाना तो एक बार भी आपके यहाँ नहीं खाया है.”
मैनेजर बोला, “नहीं खाया तो इसमें गलती आपकी है, खाना तो तैयार था.”
युवक इस दलील से परेशान होकर अपने रूम में गया. पत्नी को मामला कह सुनाया. पत्नी होशियार थी बोली, “चलो मैं उसको हिसाब बताती हूँ.”
काउंटर पर जाकर युवती मैनेजर से बोली, “मैंने भी आपसे १०,००० रूपये लेने हैं.”
मैनेजर बोला, “किस बात के?”
युवती ने कहा, “मुझे छेड़ने के”
मैनेजर बोला, “मैंने कब आपको छेड़ा?”
युवती, “नहीं छेड़ा तो इसमें गलती आपकी है, मैं तो तैयार थी.”
इस प्रकार नहले पर दहला मार कर मैनेजर को शर्मिन्दा किया और तय किराया चुकाया.

(५)
एक किरायेदार तकाजे के बावजूद पिछले ६ महीनों से किराया नहीं दे रहा था. कुल किराया २,००० रूपये प्रतिमाह के हिसाब से १२,००० रुपयों तक चढ़ गया. इस बार वह बड़ी बेतकल्लुफी से आया और मकान मालिक के हाथ में १,००० हजार रूपये रख दिये.
मकान मालिक बोला, “ये तो केवल आधे महीने का किराया है.”
किरायेदार सहजता से बोला, “अरे, रख लीजिए, लक्ष्मी को आते हुए मना नहीं करना चाहिए. मैं पिछले दरवाजे की चौखट निकाल कर नहीं बेचता तो ये हजार रूपये भी आपको नहीं दे पाता.”

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