बुधवार, 1 मई 2013

आत्मकथ्य

आज एक मई यानि मजदूर दिवस है और मेरा जन्मदिन भी. यह एक सँयोग ही है कि मैं अपने जीवन में एक लंबे समय तक श्रमिक संगठनों से जुड़ा रहा और श्रमिकों के हितार्थ समर्पित रहा. इसका मुझे आज भरपूर सन्तोष भी है.

कालचक्र अपनी नियमित गति से घूमता है. इतनी जल्दी ३६५ दिन निकल गए मालूम ही नहीं पड़ा. ऐसा लगता है कि कल ही की तो बात थी जब मैंने अपना ७४वें जन्मदिन का दीप जलाया था और अब ७५वां जन्मदिन भी आ गया. यह एक माइल स्टोन सा लगता है क्योंकि अब जीवन चतुर्थ प्रहर में प्रवेश होने जा रहा है. हम स्वस्थ भारतीयों की अधिकतम जीवन यात्रा ९० से १०० वर्ष के बीच तक हो सकती है. इस प्रकार अपने अन्तिम पड़ाव की तरफ एक कदम और बढ़ाने का अहसास हो रहा है.

वर्णाश्रम के अनुसार अब मुझे सन्यासी हो जाना चाहिए. अपनी सारी पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरी करके, अजातशत्रु रह कर, मैं किसी सन्यासी से कम नहीं हूँ, लेकिन माया-मोह अभी नहीं छूट पाए हैं.

मेरे आत्मकथ्य मुझे कहाँ कहाँ कल्पनाओं में विचरण करवा रहे हैं. मैं सशरीरी हो कर भी अपने सूक्ष्म शरीर को अंतरिक्ष में ले जाकर दूर से अपनी ही स्थिति को निहार रहा हूँ. मैं अपनी आँखें बन्द करके अपने शैशव के कोमल निष्पाप दिनों में लौटकर अपनी माँ की गोद और पिता के कन्धों पर बैठने के अप्रतिम सुख को प्रत्यक्ष अनुभव कर रहा हूँ. यह मेरे आनन्द की चरम परिणति है.

यद्यपि यह शाश्वत सत्य है, पर मृत्यु कौन चाहता है? विज्ञान के चमत्कार भविष्य में मनुष्य को अमर कर देंगे, पर यह कल्पना अभी दूर की कौड़ी है. इसलिए मैं मोक्ष नहीं, पुरानी स्मृतियों के साथ पुनर्जन्म चाहूँगा.

मेरे एक राजस्थानी मित्र ने जोधपुर रियासत के एक भूतपूर्व नरेश का किस्सा सुनाया था कि एक बार महाराज हर वर्ष की तरह आखेट के लिए जंगल में गए. जब उन्होंने वहाँ की व्यवस्था करने वाले बूढ़े भीमा भील की झोपड़ी के बाहर पहुँचकर उसे आवाज दी तो अन्दर से एक नौजवान बाहर आया. उसने बताया कि वही भीमा भील है. एक अजूबी चिड़िया को मारकर, भून कर खाने से उसका कायाकल्प हो गया. वह जवान हो गया था. उसने नरेश से ये भी कहा कि वह उनके लिए भी उसी तरह की चिड़िया की तलाश करता रहा है, पर मिली नहीं.

ऐसे चमत्कारी गल्प मनोरंजन के लिए अच्छे ख़याल होते हैं. बहरहाल मैं किसी चमत्कारी चिड़िया के मांस या चमत्कारी ‘क्लोनिंग’ के लिए किसी प्रकार उत्कंठित नहीं हूँ.

आज इस मुकाम पर मैं उन सभी शुभाकांक्षियों को हार्दिक धन्यवाद देना चाहता हूँ जो कि इस अनवरत यात्रा में मेरे स्वस्थ शरीर, मन और मस्तिष्क के लिए शुभ कामना करते हैं.
***

13 टिप्‍पणियां:

  1. बार बार दिन ये आए! हार्दिक शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपको जन्मदिन के पंचसप्तति जयंती (platinum jubilee) पर हार्दिक शुभकामनायें. इश्वर आपको स्वस्थ रखें.

    जवाब देंहटाएं
  3. मन युवा रहे सदा ही, आपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें..

    जवाब देंहटाएं
  4. A very happy birthday to you. May you always be blessed enough to write with such fluensy and simplicity

    जवाब देंहटाएं
  5. हार्दिक शुभकामनाएं | बधाई हो | आपका दिन शुभ और मंगलमय हो | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  6. आप 'स्वस्थ्य एवम्‌ इच्छित' जीवन जीते हुए, हमेशा हम लोगो का 'आत्मीय ज्ञान' वर्धन करते रहें...शुभ कामनाये.

    जवाब देंहटाएं
  7. jnm din kee bhut-2 subhkamnayan. isi prkar hr sal hamare liye likhte rhai.

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरे आत्मकथ्य मुझे कहाँ कहाँ कल्पनाओं में विचरण करवा रहे हैं. मैं सशरीरी हो कर भी अपने सूक्ष्म शरीर को अंतरिक्ष में ले जाकर दूर से अपनी ही स्थिति को निहार रहा हूँ. मैं अपनी आँखें बन्द करके अपने शैशव के कोमल निष्पाप दिनों में लौटकर अपनी माँ की गोद और पिता के कन्धों पर बैठने के अप्रतिम सुख को प्रत्यक्ष अनुभव कर रहा हूँ. यह मेरे आनन्द की चरम परिणति है...........................सर्वप्रथम जन्‍मदिन की सप्रेम बधाई। आप शतायु से भी आगे बढ़ कर, स्‍वस्‍थ हो कर विचार ऊर्जा बिखेरते रहें, ऐसी कामना है। बहुत सुन्‍दर संवेदित करनेवाला अनुभव वर्णित किया है आपने।

    जवाब देंहटाएं