आज की बैठक ‘क्रिकेट मैचों में फिक्सिंग की बीमारी’ पर सदस्यों के विचार जानने के लिए आहूत की गयी थी. उपस्थिति २१ थी.
न. १ : साथियों, देश का सर एक बार फिर शर्म से झुक गया है. भ्रष्टाचार के मामलों में हमने क्रिकेट जैसे ‘जेंटिलमैन खेल’ को भी नहीं छोड़ा. क्रिकेट को टुच्चे खिलाड़ियों और लुच्चे सटोरियों ने बेमजा कर दिया है.
न. ९ : इस क्रिकेट ने पूरे देश को बर्बाद कर के रख छोड़ा है. शहर शहर जाकर जो अर्थदोहन हो रहा है, उसका सहज में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. देश के बड़े बूढ़े ही नहीं, हर नौजवान एक तरह से एडिक्ट सा होकर सब काम छोड़, स्टेडियम पहुँच जाता है, और लुटा-पिटा लौट कर घर आता है. कुल मिला कर देश की अर्थव्यवस्था पर इसका दूरगामी कुप्रभाव होगा.
न. ४ : साम्यवादी देशों में, यहाँ तक कि अमेरिका तथा बहुत से यूरोपीय देशों में, क्रिकेट नहीं खेली जाती क्योंकि इससे लाखों-करोड़ों जन-कार्यदिवसों हानि होती है. आप केवल उन लोगों की बात कर रहे हैं जो स्टेडियम में जाकर समय बर्बाद करते हैं, लेकिन इसका सीधा प्रभाव घरों के ड्राईंगरूम व बेडरूम तक पड़ता है. लोग मैच के दौरान समस्त जरूरी काम छोड़ कर टी.वी. पर केंद्रित हो जाते हैं. बिजली की खपत बढ़ जाती है, जिसका खामियाजा परोक्ष रूप से पूरे राष्ट्र को भुगतना पडता है.
नं ६ : इस खेल को आज के समय में पूरी तरह बन्द तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से खिलाड़ियों पर नीलामी बोली लगाकर खरीदा जा रहा है और उनकी टीम बना कर मैदान में उतारा जा रहा है यह बहुत गलत सिस्टम है. आई.पी.एल. की स्पर्धाओं को तो अगले साल से बिलकुल बन्द किया जाना चाहिए.
न. १० :ये ललित मोदी के दिमाग की खुराफाती उपज थी और जब उस पर करोड़ों रुपयों की अनियमितताओं का मामला उजागर हुआ तो देश छोड़कर इंग्लेंड में जा बैठा है. आई.पी.एल. की पैदाईश ही भ्रष्टाचार से हुई है.
न. ६ : अपने देश के सारे तन्त्र भ्रष्ट और बेईमान से लगने लगे हैं. जाली टिकट बिकते हैं, टिकटों की कालाबाजारी होती है. बी.सी.सी.आइ., क्रिकेट व्यवस्थापकों/टीम के ठेकेदारों की इस रकम से मौज और ऐश जग जाहिर है. ये बड़ी दुखदाई स्थिति है.
न. ८ : आपने भूतपूर्व क्रिकेटर और बी.जे.पी. के सांसद सिद्दू का बयान भी मीडिया की सुर्ख़ियों में सुना-पढ़ा होगा? वे तो खुले में बोले हैं, "देश की पार्लियामेंट जब फिक्सिंग की दागी है तो आई.पी.एल. को ‘पापी’ क्यों कहा जा रहा है."
न. ३ : सचमुच ये विचारणीय बात है. ऐसा लगता है कि हम सब लोग कहीं ना कहीं अपने को भ्रष्टाचार में आत्मसात कर चुके हैं. केवल मीडिया के उछालने के बाद सक्रिय होते हैं.
न. १ : ये खेल अब व्यापार बन चुका है और व्यापार में उचित-अनुचित तरीकों से अधिक से अधिक रूपये कमाने की होड़ में खिलाड़ियों से लेकर सटोरिये तक सब अन्धी दौड़ में शामिल हो गए हैं. डी कम्पनी यानि दाऊद इब्राहीम जैसे अंतर्राष्ट्रीय दुर्दांत अपराधी/आतंकी का सीधा हाथ होने पर ये बहुत चिंता का विषय हो गया है. फिलहाल जिन खिलाड़ियों पर इनमें लिप्त होने के सबूत मिले हैं, उनको कड़ा दंड मिलना चाहिए ताकि औरों के लिये नसीहत हो.
न. १ : साथियों, देश का सर एक बार फिर शर्म से झुक गया है. भ्रष्टाचार के मामलों में हमने क्रिकेट जैसे ‘जेंटिलमैन खेल’ को भी नहीं छोड़ा. क्रिकेट को टुच्चे खिलाड़ियों और लुच्चे सटोरियों ने बेमजा कर दिया है.
न. ९ : इस क्रिकेट ने पूरे देश को बर्बाद कर के रख छोड़ा है. शहर शहर जाकर जो अर्थदोहन हो रहा है, उसका सहज में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. देश के बड़े बूढ़े ही नहीं, हर नौजवान एक तरह से एडिक्ट सा होकर सब काम छोड़, स्टेडियम पहुँच जाता है, और लुटा-पिटा लौट कर घर आता है. कुल मिला कर देश की अर्थव्यवस्था पर इसका दूरगामी कुप्रभाव होगा.
न. ४ : साम्यवादी देशों में, यहाँ तक कि अमेरिका तथा बहुत से यूरोपीय देशों में, क्रिकेट नहीं खेली जाती क्योंकि इससे लाखों-करोड़ों जन-कार्यदिवसों हानि होती है. आप केवल उन लोगों की बात कर रहे हैं जो स्टेडियम में जाकर समय बर्बाद करते हैं, लेकिन इसका सीधा प्रभाव घरों के ड्राईंगरूम व बेडरूम तक पड़ता है. लोग मैच के दौरान समस्त जरूरी काम छोड़ कर टी.वी. पर केंद्रित हो जाते हैं. बिजली की खपत बढ़ जाती है, जिसका खामियाजा परोक्ष रूप से पूरे राष्ट्र को भुगतना पडता है.
नं ६ : इस खेल को आज के समय में पूरी तरह बन्द तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से खिलाड़ियों पर नीलामी बोली लगाकर खरीदा जा रहा है और उनकी टीम बना कर मैदान में उतारा जा रहा है यह बहुत गलत सिस्टम है. आई.पी.एल. की स्पर्धाओं को तो अगले साल से बिलकुल बन्द किया जाना चाहिए.
न. १० :ये ललित मोदी के दिमाग की खुराफाती उपज थी और जब उस पर करोड़ों रुपयों की अनियमितताओं का मामला उजागर हुआ तो देश छोड़कर इंग्लेंड में जा बैठा है. आई.पी.एल. की पैदाईश ही भ्रष्टाचार से हुई है.
न. ६ : अपने देश के सारे तन्त्र भ्रष्ट और बेईमान से लगने लगे हैं. जाली टिकट बिकते हैं, टिकटों की कालाबाजारी होती है. बी.सी.सी.आइ., क्रिकेट व्यवस्थापकों/टीम के ठेकेदारों की इस रकम से मौज और ऐश जग जाहिर है. ये बड़ी दुखदाई स्थिति है.
न. ८ : आपने भूतपूर्व क्रिकेटर और बी.जे.पी. के सांसद सिद्दू का बयान भी मीडिया की सुर्ख़ियों में सुना-पढ़ा होगा? वे तो खुले में बोले हैं, "देश की पार्लियामेंट जब फिक्सिंग की दागी है तो आई.पी.एल. को ‘पापी’ क्यों कहा जा रहा है."
न. ३ : सचमुच ये विचारणीय बात है. ऐसा लगता है कि हम सब लोग कहीं ना कहीं अपने को भ्रष्टाचार में आत्मसात कर चुके हैं. केवल मीडिया के उछालने के बाद सक्रिय होते हैं.
न. १ : ये खेल अब व्यापार बन चुका है और व्यापार में उचित-अनुचित तरीकों से अधिक से अधिक रूपये कमाने की होड़ में खिलाड़ियों से लेकर सटोरिये तक सब अन्धी दौड़ में शामिल हो गए हैं. डी कम्पनी यानि दाऊद इब्राहीम जैसे अंतर्राष्ट्रीय दुर्दांत अपराधी/आतंकी का सीधा हाथ होने पर ये बहुत चिंता का विषय हो गया है. फिलहाल जिन खिलाड़ियों पर इनमें लिप्त होने के सबूत मिले हैं, उनको कड़ा दंड मिलना चाहिए ताकि औरों के लिये नसीहत हो.
न. २२ : आपकी बात से पूर्ण सहमति है. एक प्रस्ताव पास करके आई.पी.एल को बन्द करने की संस्तुति सरकार और बी.सी.सी.आई को भेजी जानी चाहिए.
सर्व सम्मति से कर्नल साहब की बात को स्वीकार किया गया और बैठक धन्यवाद के साथ समाप्त की गयी.
सर्व सम्मति से कर्नल साहब की बात को स्वीकार किया गया और बैठक धन्यवाद के साथ समाप्त की गयी.
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आरोप सिद्ध होने पर आजीवन बैन लगा देना चाहिए
जवाब देंहटाएंडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post वटवृक्ष
हमारी भी सहमति हो, बन्द कर कुछ सार्थक करें हम।
जवाब देंहटाएंअब तो जांच में कुछ भी मिले,
जवाब देंहटाएंलेकिन कुछ समय के लिए इसे बंद करना जरूरी है..
ऐसी ही व्यथा-कथा से युक्त एक पोस्ट मैंने भी अपने ब्लॉग पर डाली है आज। बहुत बढ़िया है आईपीएल बन्द करने का विचार।
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