गुरुवार, 25 अक्टूबर 2012

चुहुल - ३५

(१)
एक भद्र महिला काफी देर से किसी शो रूम के बाहर खड़ी थी, बीच बीच में अन्दर भी झाँक रही थी. शोरूम के विक्रेता यानि सेल्समैन ने उनसे कहा, “बहन जी, अन्दर आ जाइए, बैठ कर तसल्ली से देखिये.”
वह अन्दर आई तो सेल्समैन ने पूछा, “क्या दिखाऊँ?” महिला बोली “कम्बल दिखाइए.”
५० कम्बलों के बण्डल में से करीब ४०–४२ कम्बल दिखाने के बाद सेल्समैन ने पूछ लिया, “क्या इनमें से आपको कोई पसंद आया?”
तो भद्र महिला बोली, “दरसल मुझे कम्बल खरीदना नहीं है, मैं तो अपने पति का इन्तजार कर रही हूँ.”
सेल्समैन ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा, “तो आप ऐसा कीजिये इन बाकी कम्बलों में भी टटोल लीजिए, क्या पता आपके पति इनमें कहीं मिल जाएँ.”

(२)
एक अध्यापिका बच्चों को जानवरों के बारे में जानकारी दे रही थी कि इनमें नर व मादा अलग से पहचाने जा सकते हैं, जैसे गाय-बैल, भैंस-भैंसा, बकरा-बकरा, मुर्गा-मुर्गी. बच्चे उनकी बातें ध्यान से सुन रहे थे.
अध्यापिका ने आगे कहा, “क्या तुमने मुर्गी के छोटे छोटे चूजे देखे हैं?”
बच्चों ने एक स्वर में कहा, “हाँ मैम, हमने चूजे देखे हैं.” इस पर अध्यापिका ने सवाल किया, “वे तो सब एक जैसे दिखते हैं. उनमें कौन मुर्गा है और कौन मुर्गी कैसे पहचानोगे?”
सभी बच्चे खामोश हो गए, पर एक बुद्धिमान लड़का खड़ा होकर बोला, “मैम, हम उनको चारा डालेंगे, जो चुगेगा, वह मुर्गा और जो चुगेगी वह मुर्गी होगी.”

(३)
धम्म से कुछ बड़ा सामान गिरने की आवाज आई तो मौलवी साहब की बेगम दौड़ी दौड़ी आई. “क्या गिरा दिया?” उसने पूछा. मौलवी साहब ने कहा, “अरे, ये टोपी गिर गयी थी." बेगम ने आश्चर्य करते हुए फिर पूछा “टोपी गिरने से इतनी बड़ी आवाज तो आ नहीं सकती है?”
इस पर मौलवी साहब शर्माते हुए धीरे से बोले, “अरे बेगम, टोपी के अन्दर हम भी थे.”

( ४)
रेल के द्वितीय श्रेणी के जनरल डिब्बे में काफी भीड़ थी. एक लड़का जब उस डिब्बे में चढ़ा तो उसने देखा सामने ४-५ मोटे-मोटे सज्जन जगह घेर कर बैठे हैं. उसने शरारतन पूछा, “क्या यह डिब्बा सिर्फ हाथियों के लिए रिजर्व है?”
उन मोटे आदमियों में से एक ने हँसते हुए उत्तर दिया, “नहीं, गधे भी आ सकते हैं, आ जाओ.”

(५)
भट्ट जी और भट्टाणी जी ने अपनी शादी की गोल्डन जुबली अकेले में केक काट कर मनाई.
भट्टाणी बोली, “आप मेरा हाथ अपने हाथ में लीजिए.”
फिर बोली, “एक चुम्मा तो लीजिए.”
दोनों को एक दूसरे पर प्यार आ रहा था. भट्टाणी मुस्कुराते हुए फिर बोली, “मेरा गाल भी उसी तरह काटिए जिस तरह आपने शादी के समय किया था.”
इस पर भट्ट जी उठकर जाने लगे तो भट्टाणी ने पूछा, “अरे, जा कहाँ रहे हो?
भट्ट जी बोले, “बाथरूम में, दांतों का सेट पानी के गिलास में रखा है.”

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