जनता का सिपाही हूँ, बातों का सम्राट हूँ
मैले बिस्तर पलट दिये पर वही पुरानी खाट हूँ.
बामन भी हूँ, बनिया भी हूँ, कोई कह ले जाट हूँ
बहुरूपी, समदर्शी कह लो, भाई मैं तो भाट हूँ.
सबके गंदे कपड़े आते, मैं वह धोबीघाट हूँ
दारूबंदी की बोतल का, मैं अनमोल डाट हूँ.
नए पुराने चावल मिल गए, मैं वह गीला भात हूँ
चीनी – अमेरिकी माल मिलेगा मैं वह देसी हाट हूँ.
माल चरपरा दस्तावर भी, बहुरंगी मैं चाट हूँ
हर गरीब जो पहन सकेगा, प्यारा कपड़ा टाट हूँ.
समाजवादी पूंजीपति हूँ, गांधीवादी ठाट हूँ
श्वेत/बिरंगी टोपी के नीचे खद्दर-टाई नाट हूँ.
बरसाती नाले से उभरी, नई-नवेली पाट हूँ
थूक से जिसको चिपका रखा, मैं कागज़ की फाट हूँ.
मन चाहे जो भोजन परसो, मैं इमली का पात हूँ
आयोगों की फसल उगाता मैं दिल्ली का लाट हूँ.
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वाह! ज़बरदस्त लिखा है...
जवाब देंहटाएं'छोटी बात' पर:
कोलकाता जैसे हादसों के ज़िम्मेदार हम हैं!
मैले बिस्तर पलट दिये पर वही पुरानी खाट हूँ...very interesting!!
जवाब देंहटाएंआयोगों की फसल उगाता मैं दिल्ली का लाट हूँ...वाह-- क्या बात है.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा,सुन्दर
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