शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

कृतज्ञता


हम इस देश के आम आदमी
और एक तुम हो, खास.
क्योंकि सबसे अच्छा अन्न तुम खाते हो
मलाई तुम्हारे हिस्से में है
तुम्हारा नाम राष्ट्र के हर किस्से में है.

तुम कहते हो
राष्ट्र तुम्हारे कन्धों पर है,
तुम्हारी दृष्टि राष्ट्र के धन्धों पर है.
इसीलिये हर उत्तम पर-
तुम्हारा ही अधिकार है.
कोई प्रतिवाद करे भी तो क्या?
हमें सब स्वीकार है.

योंकि तुम हमारे नेता हो
राष्ट्र मंच के अभिनेता हो,
भाषण करते थकते हो
महीनों घर छोड़ फिरते रहते हो.

राष्ट्र पर तुम्हारा एहसान है,
राष्ट्र को तुम पर अभिमान है,
राष्ट्र का अन्न तुम्हारे पेट में जाने पर
अपने को कृतज्ञ मानता है
क्योंकि हम अन्न के प्रति कृतज्ञ है
इसलिए तुम्हारे प्रति
हमारी कृतज्ञता दुगुनी हो जाती है.

पर श्रीमान!
उपवास की सीख मत दो
हम बहुत दिनों से भूखे हैं.
                                  ***

2 टिप्‍पणियां:

  1. तुम कहते हो
    राष्ट्र तुम्हारे कन्धों पर है,
    तुम्हारी दृष्टि राष्ट्र के धन्धों पर है.
    इसीलिये हर उत्तम पर-
    तुम्हारा ही अधिकार है.

    Sateek Panktiyan.....

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  2. पर श्रीमान!
    उपवास की सीख मत दो
    हम बहुत दिनों से भूखे हैं.
    सार्थक अभिव्यक्ति ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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