रविवार, 7 जुलाई 2013

चंडूखाने से

डॉ. हरिवंशराय बच्चन ने मधुशाला पर एक पूरी किताब लिख डाली. वैसे शराबखाने तो हजारों सालों से इस धरती पर रहे होंगे, बच्चन जी जैसे दीदावर ने उसे एक खास मुकाम दे डाला. लेकिन उनके दिमाग में कभी हमारे देसी चंडूखाने के बारे में कभी कोई नज्म पैदा नहीं हुई.

अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी और फारसी के महान कवियों ने ‘वारुणी’ पर रूबाइयां/मुक्तक तहे दिल से रच कर अपने पाठकों का दिल खुश किया होगा, पर सिर्फ हमारे दोस्त चायनीज अफीमखोरों के अलावा चंडूखाने के आनन्द के बारे में किसी ने कभी नहीं सोचा.

कहते हैं कि भाँग-गांजा-चरस जोगियों और बाबाओं को ईश्वरीय अनुभूति कराते हैं. वे इसे शंकर भगवान के प्रिय नशे के रूप में वर्णित करते हैं. मैं समझता हूँ कि शंकर भगवान को एक खुराक चंडू का स्वाद चखाया जाता तो वे फिर अन्य बूटी का ख्याल ही नहीं करते.

अहा ! हमारे देहात में हर गाँव में एक ओखलसार हुआ करती थी जहाँ बहू-बेटियाँ, नई नवेली से लेकर बूढ़ी दादी माई तक चूड़ियाँ खनकाते हुए, सदाबहार गीत गाती हुई धान कूटा करती थी और ओखलसार के बगल में आसपास मर्दजात का चंडूखाना होता था. चटाइयां बिछी रहती थी और नशेड़ी लोग आते ही लंबा लेट कर चंडू पिया करते थे. इसका स्वाद कड़ुआ जरूर लगता था, पर नशा बहुत मीठा होता था. घंटों यों ही शिथिल होकर आनद लेते रहते थे. बहुत दूर दूर की बातें सूझने लगती थी. चाँद-तारों की सैर तक कर आते थे. ऐसी ऐसी फेंकू खबरे सुनी-सुनाई आती थी, जिन पर अविश्वास करने की कोई गुंजाइश नहीं होती थी. हाय, ये सब अब कहाँ? हमारी सारी सामाजिक विधाएं बदल गयी हैं. अब तो फेसबुक पर ‘फेकिंग न्यूज’ में कभी कभी चंडूखाने की सी ख़बरें दिखाई देती हैं, अथवा कभी कभी अपने न्यूज चैनलों को ज्यादा लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से कुछ संपादक/संवाददाता ऐसी-वैसी चंडूखाने की सी खबरें उछालते रहते हैं.

चलते चलते चंडूखाने की ताजा (ब्रेकिंग न्यूज) खबर यह है कि अडवानी जी ने नरेन्द्र मोदी जी को भारतीय जनता पार्टी का प्राइम मिनिस्टर केंडिडेट घोषित कर दिया है. हमारे सूत्रों ने बताया कि मोदी जी ने अडवानी जी को प्रेसीडेंट बनाने का आश्वासन दिया है. दूसरी खबर के अनुसार राहुल बाबा की गर्ल फ्रेंड भी राजनीति में सक्रिय होना चाहती है. बताया जाता है कि वह सोनिया जी जैसी प्रभावशाली बनने की महत्वाकांक्षा रखती है. कहो कैसी रही?
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6 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी कल्पना से नयी सृष्टि को रचती हैं, चण्डूखाने की खबरें।

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  2. नरेन्‍द्र मोदी सम्‍बन्‍धी चण्‍डूखबर तो ठीक है, पर ऐय्‍याश लड़कियां अगर सत्‍ता संचालन करेंगी तो कहीं पूरा भारत चण्‍डूखाना न बन जाए!

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