मानू अब बड़ा हो गया है. वह मानू से मनोहर हो गया है. उसे याद है कि बचपन से लगभग हर साल गर्मियों की छुट्टियाँ होते ही वह मम्मी के साथ ननिहाल चला आता था. इन छुट्टियों का उसे बहुत बेसब्री सी इन्तजार रहता था. पापा बताते थे कि सभी बच्चे इसी तरह ‘नानी-हॉलीडेज’ का इन्तजार करते होंगे. सचमुच नानी तो नानी ही होती है, उसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है.
नानी का गाँव नैनीताल के भवाली–रामगढ़ मोटर मार्ग पर है. यहाँ आकर जयपुर की तपती लू भरी गर्मी से निजात तो मिलती ही है. गर्मियों में इस सदाबहार गाँव में फलों की भी बहार रहती है, आड़ू, खुबानी, प्लम, आलूबुखारा और चुस्की नाशपाती बहुतायत में यहाँ मिलते हैं. इसके चारों तरफ फल-पट्टियाँ विकसित की गयी है. पर ये जून का महीना इतनी जल्दी क्यों भाग जाता है? पता ही नहीं चलता.
इस गाँव के सब लोग मानू को अपने पास बुलाने को लालायित रहते हैं, मानो वह एक बच्चा ना होकर चलता फिरता खिलौना हो. मानू शहर की लोगों की तुलना में यहाँ के लोगो के अपनेपन और प्यार से इतना अभिभूत रहता है कि हमेशा यहीं रहने को मन करता है.
मानू को कई वर्षों के बाद मालूम पड़ा कि उसकी नानी की केवल एक आँख सही सलामत है. दूसरी आँख तो पत्थर की बनी है. मम्मी ने ही उसे बताया कि नानी के बचपन में उनकी आँख में चोट लगने से जख्मी हो गयी थी और ठीक से ईलाज न मिलने से सूख गयी थी. मानू इस बारे में कई दिनों तक सोचता रहा कि भगवान ने सबको दो दो आँखें इसीलिए दी हैं कि अगर एक खराब हो जाये तो दूसरी से काम चलाया जाये. उसने एक दिन सहमते हुए नानी स कहा, “नानी आपकी एक ही आँख है. इसकी आप बहुत हिफाजत करना क्योंकि आँख नहीं होगी तो सब तरफ अन्धेरा हो जाएगा.”
नानी का गाँव नैनीताल के भवाली–रामगढ़ मोटर मार्ग पर है. यहाँ आकर जयपुर की तपती लू भरी गर्मी से निजात तो मिलती ही है. गर्मियों में इस सदाबहार गाँव में फलों की भी बहार रहती है, आड़ू, खुबानी, प्लम, आलूबुखारा और चुस्की नाशपाती बहुतायत में यहाँ मिलते हैं. इसके चारों तरफ फल-पट्टियाँ विकसित की गयी है. पर ये जून का महीना इतनी जल्दी क्यों भाग जाता है? पता ही नहीं चलता.
इस गाँव के सब लोग मानू को अपने पास बुलाने को लालायित रहते हैं, मानो वह एक बच्चा ना होकर चलता फिरता खिलौना हो. मानू शहर की लोगों की तुलना में यहाँ के लोगो के अपनेपन और प्यार से इतना अभिभूत रहता है कि हमेशा यहीं रहने को मन करता है.
मानू को कई वर्षों के बाद मालूम पड़ा कि उसकी नानी की केवल एक आँख सही सलामत है. दूसरी आँख तो पत्थर की बनी है. मम्मी ने ही उसे बताया कि नानी के बचपन में उनकी आँख में चोट लगने से जख्मी हो गयी थी और ठीक से ईलाज न मिलने से सूख गयी थी. मानू इस बारे में कई दिनों तक सोचता रहा कि भगवान ने सबको दो दो आँखें इसीलिए दी हैं कि अगर एक खराब हो जाये तो दूसरी से काम चलाया जाये. उसने एक दिन सहमते हुए नानी स कहा, “नानी आपकी एक ही आँख है. इसकी आप बहुत हिफाजत करना क्योंकि आँख नहीं होगी तो सब तरफ अन्धेरा हो जाएगा.”
नानी ने इत्मीतान से मुस्कुराते हुए मानू को बताया, "मैं इसकी पूरी हिफाजत करती हूँ क्योंकि अपने मरने के बाद भी मैं इसे किसी नेत्रहीन को दान करना चाहती हूँ.” नानी ने आगे बताया कि “पिछले साल नैनीताल जिला अस्पताल में आँखों की जाँच के लिए एक कैम्प लगा था जिसमें बहुत से लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लेकर फ़ार्म भरे, उनमें तुम्हारे नाना और मैं भी थी. मानू को नानी की ये परोपकारी भावना बहुत अच्छी लगी.
इस बार मनोहर दो सालों के बाद ननिहाल आया है. वह बारहवीं की फाइनल परीक्षा और उसके बाद प्रीमेडिकल टेस्ट के में बैठने के लिए दिन रात पढ़ाई में व्यस्त रहा. वह जानता है कि सफलता के लिए बहुत मेहनत की जरूरत होती है. उसका सपना है कि वह आँखों का डॉक्टर बने और नानी के परोपकार के मिशन को आगे बढ़ाये.
नानी अब काफी बूढ़ी हों गयी हैं, पर मानू के प्रति उनके रिश्ते की मिठास में कोई कमी नहीं आई है.
इस बार मनोहर दो सालों के बाद ननिहाल आया है. वह बारहवीं की फाइनल परीक्षा और उसके बाद प्रीमेडिकल टेस्ट के में बैठने के लिए दिन रात पढ़ाई में व्यस्त रहा. वह जानता है कि सफलता के लिए बहुत मेहनत की जरूरत होती है. उसका सपना है कि वह आँखों का डॉक्टर बने और नानी के परोपकार के मिशन को आगे बढ़ाये.
नानी अब काफी बूढ़ी हों गयी हैं, पर मानू के प्रति उनके रिश्ते की मिठास में कोई कमी नहीं आई है.
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बचपन की कोमल भावनाओं से प्रेरित होती जीवन की राह
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना आज गुरुवार (11-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंप्रेरणाप्रद कहानी।
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जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर कहानी।
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
bchpn ki mithas yad yaai.
जवाब देंहटाएंक्या बात क्या बात क्या बात है !एक साफ़ सन्देश देती रचना .बड़े प्रतिमान स्थापित करें छोटे अनुकरण को तैयार खड़े हैं .ॐ शान्ति .मानु की नानी जग नानी है .
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