शनिवार, 1 दिसंबर 2012

चुहुल - ३८

(१)
ऑफिस में काम करने वाले एक सज्जन ने अपने साथी से कहा, “यार, अगर आज घर जाकर तुम्हारे साथ कोई घाटे की घटना पेश आये तो तुम अपने गम में मुझे भी शामिल समझना.”
“घाटे की घटना? मैं समझा नहीं?” साथी ने पूछा.
वह बोला “मेरी पत्नी ने कल १५,००० हजार रुपयों की एक साड़ी खरीदी है, जिसे पहन कर वह आज तुम्हारी बीवी से मिलने गयी है.”

(२)
एक आदमी ने अपनी पत्नी का बीमा कराया और पॉलिसी लेते वक्त एजेंट से पूछा, “अगर कल को मेरी पत्नी की मृत्यु हो गयी तो मुझे क्या मिलेगा?”
एजेंट बोला, “ज्यादा से ज्यादा मृत्युदंड.”

(३)
एक बदमिजाज औरत जासूसी उपन्यास पढ़ रही थी. पढ़ते पढ़ते अपने पति से बोली, “अगर कोई मुझे अगवा करके उठा ले जाये तो तुम क्या करोगे?”
पति बोला, “मैं उससे कहूँगा - ऐसे रिस्क लेने की क्या जरूरत है? आराम से ले जाओ.”

(४)
एक व्यक्ति अपने दस वर्षीय बेटे को चिड़ियाघर दिखाने के लिए गया. वहाँ पर शेर के पिंजड़े के पास खड़ा होकर लड़का गुमसुम हो गया और गहरे सोच में पड़ गया. बाप ने उससे पूछा, “क्या सोच रहे हो, बेटा?”
बेटा बोला, “मैं सोच रहा हूँ कि अगर पिंजड़े से निकल कर ये शेर आपको खा जाएगा तो मैं कितने नम्बर की बस से घर जाऊंगा?”

(५)
पोस्टमैन की नौकरी के लिए उम्मीदवारों का इन्टरव्यू हो रहा था. एक उम्मीदवार से प्रश्न पूछा गया, “बताओ, पृथ्वी से चंद्रमा के बीच कितनी दूरी है?”
उम्मीदवार चिंता में पड़ गया, बोला, “अगर आप लोग मुझे इतनी दूर डाक पहुंचाने का काम देना चाहते हैं तो ये नौकरी मुझे नहीं चाहिए,” और उठ कर चला गया.
***

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    दो दिनों से नेट नहीं चल रहा था। इसलिए कहीं कमेंट करने भी नहीं जा सका। आज नेट की स्पीड ठीक आ गई और रविवार के लिए चर्चा भी शैड्यूल हो गई।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (2-12-2012) के चर्चा मंच-1060 (प्रथा की व्यथा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  2. वाह! भाई साहब! चुहुल में वाकई एक नै चुहुल है .हलकी फुलकी चीज़ों का अपना वजन और आकर्षण रहता है आप वही लिए आते हैं .आभार .

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  3. वाह! भाई साहब! चुहुल में वाकई एक नै चुहुल है .हलकी फुलकी चीज़ों का अपना वजन और आकर्षण रहता है आप वही लिए आते हैं .आभार .

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  4. Herniated disk के मामलों में काइरोप्रेकटर रीढ़ का समायोजन करतें हैं गुर्रियों की दुरुस्ती करके दबी हुई नसों से दवाब हटाके .आप को एक्टिव ही रहना है ताकि रीढ़ को पूरी ऑक्सीजन पहुँचती रहे

    गुर्रियाँ बोले तो vertebrae .काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा में रीढ़ की गुर्रियों में आई गड़बड़ी (इनमें जो विक्षोभ पैदा हो जाता है ) उसे ही दूर किया जाता है . काइरोप्रेकटर (काइरो प्रेक्टिक चिकित्सा का

    माहिर )के सधे हुए हाथ यह कमाल करते हैं .पुरुषोत्तम पांडे भाई साहब आपने सही मुद्दा उठाया है .

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  5. फिर से गुदगुदाया आपने ... आभार।

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