गुरुवार, 4 अगस्त 2011

बुलावा

          घटना कोटा, राजस्थान की है. कन्हैयालाल रावतभाटा रोड पर मस्ती से अपना ट्रैक्टर चलाकर शहर की तरफ बढ़ रहा था. उसके ट्रैक्टर-ट्राली में पत्थर भरे थे, जो शहर में चल रहे निर्माण कार्य में लगने थे. यह उसका नित्यक्रम था. करीब ३ किलीमीटर दूरी पर एक देहाती महिला घाघरा-लूगड़ी पहने, अपने सर में लकड़ी का गठ्ठर लेकर ट्रैक्टर से आगे चल रही थी. उसको भी कोटा ही आना था. ट्रैक्टर की आवाज सुन कर वह मुडी और उसने अपने हाथ से इशारा करके कन्हैयालाल से रुकने का निवेदन किया. बिना हील-हुज्जत के कन्हैयालाल ने उसको लिफ्ट दे दी. वह गठ्ठर सहित ट्राली में पत्थरों पर आ बैठी.

          थोड़ी दूर चलने के बाद उस महिला ने देखा कि एक 'गोहेरा' (छिपकली प्रजाति का एक अति जहरीला रेप्टाइल -जिसकी लम्बाई एक फुट के आसपास होती है. यह भूरे रंग का बड़ा चपल और डरपोक किस्म का प्राणी राजस्थान के रेतीले इलाकों में बहुतायत से पाया जाता है) उसके घाघरे में आ गया. महिला ने बिना समय गवांये उसे कपड़े  सहित गर्दन से पकड़ लिया. गोहेरा इस स्थिति में था कि काट नहीं सकता था. महिला की इस तुरत बुद्धि से वह आपदा से बच तो रही थी पर वह बहुत भयभीत थी और कातर स्वर में ड्राइवर को आवाज दे रही थी, पर ट्रैक्टर की धकधक आवाज में महिला का क्रंदन दबा जा रहा था. काफी देर तक यह स्थिति बनी रही, तभी पीछे से दौलतराम नाम का एक व्यक्ति मोटर साइकिल पर आया और आगे निकल गया. उसने उस महिला को चिल्लाते हुए सुना अवश्य था लेकिन, "दूसरों के झगड़ों में कौन पड़े?" यह सोच कर वह निकल गया. काफी आगे निकलने के बाद उसकी अंतरात्मा ने उसे कचोटा कि उसे वापस जाकर मदद करनी चाहिए. उसने अपनी बाइक मोड़ी और ट्रैक्टर के निकट जाकर उसे रुकवाया. कन्हैयालाल को जब मालूम हुआ कि महिला के पकड़ में गोहेरा है तो उसने उससे कहा कि जल्दी से उछाल कर फैंक दे.

          अब इसे संजोग, होनहार या मौत का बुलावा कुछ भी कहिये गोहेरा उछल कर सीधे दौलतराम के ऊपर जा गिरा और उसने उसके गर्दन में काट दिया. दौलतराम थोड़ी देर छटपटा कर शांत हो गया. मौत का यह अजीब खेल है जिसकी यह दास्तान अखबारों में पढी गयी.
                                                                 ***

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