चित्रकार की तूलिका सी,
जो भर दे रंग हज़ारजीवन खाली खाकों को दे,
अरु छीने मन का प्यार.
अरु छीने मन का प्यार.
तन मटियाला, मन उजियाला
नव कोपल समान;
तरुनाई का पहरा पाकर
गर्वित है अभिज्ञान.
तुम कवि की सतत प्रेरणा'
तुम पौरुष की प्यास,
तुम से ही सब मातृभाव है,
तुम्ही करुण विश्वास.
रीति नीति की वक्र वीथि पर
चातुर्मास की सी हरियाली
हर्षित सी, पर मधुर वेदना,
छाँट न पाया हो वनमाली.
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bahut accha likha hai ....
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