तू थक गया तो क्या हुआ,
तेरा श्रम तो नहीं थका.
तू धर्म मत छोड़ अपना
तेरा धर्म क्या कभी थका.
पात्र विचलित हो सकता है,
पौरुष कभी बिंधा नहीं .
श्रम को असाध रही हो जो,
ऐसी कोई विधा नहीं.
माना लक्ष्य दुर्गम है तेरा,
पर लगन को क्या दुर्गम है ?
सादा सा सिद्धांत शाश्वत -
उत्पत्ति का निदान श्रम है.
धरती माँ से तेरा नाता-
श्रम ही है, श्रम का विश्वास .
श्रम-अश्रु ही मसि बनती आई-
लिखने हर विकास इतिहास.
उठ, उठ अबेर ना हो,
दिगंत का बुलावा सुन
बना अब नए आयाम;
उधडे ना जो, ऐसा बुन.
***
लिखने हर विकास इतिहास.
उठ, उठ अबेर ना हो,
दिगंत का बुलावा सुन
बना अब नए आयाम;
उधडे ना जो, ऐसा बुन.
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Very nice and true, tks for sharing .
जवाब देंहटाएंतू थक गया तो क्या हुआ,
जवाब देंहटाएंतेरा श्रम तो नहीं थका.
तू धर्म मत छोड़ अपना
तेरा धर्म क्या कभी थका.
Kya baat hai Sir...awesome