लटके हुए पेट का वजन
सह नहीं सकती एक रीढ़ की हड्डी,
पिचके हुए पेट की कसन
सह नहीं सकती एक और रीढ़ की हड्डी.
बहुत हद तक साम्य है
पर साम्यवाद नहीं
शायद यही जनतंत्र है
समाजवाद नहीं.
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