स्वर्गीय जी. रामानुजम स्वतंत्र भारत के ट्रेड यूनियन इतिहास में एक युगपुरुष की भाँति हैं. उनको स्वयं महात्मा गाँधी जी ने अहमदाबाद के मिल मजदूरों को संगठित करने का काम सौंपा था. वे लम्बे समय तक मजदूर आन्दोलन के अगवा रहे. बरसों तक अखिल भारतीय मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय अधक्ष रहे. वे एक सर्वमान्य व्यक्ति थे. जीवन के अंतिम सोपान में उनको आंध्रा तथा बाद में उड़ीसा का राज्यपाल बनाया गया. उन्होंने ट्रेड यूनियन सम्बंधित अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं. चूंकि मैं आल इंडिया सीमेंन्ट वर्कर्स फैड्रेसन का लम्बे समय तक उपाध्यक्ष रहा इसलिए अनेक मीटिंगों / अधिवेशनों में उनके सानिध्य में रहा. सीमेंट मालिक और कर्मचारियों के वेतन संबंधी विवादों में उनको दो बार आर्बिट्रेटर भी बनाया गया. वे हमेशा अंग्रेज़ी में ही भाषण करते थे. मैं या स्वर्गीय एच.एन. त्रिवेदी उनकी स्पीच को हिन्दी में रूपांतरित करके बोलते थे. मैंने उनकी पुस्तक 'द थर्ड पार्टी' का हिन्दी में अनुवाद 'तीसरा पक्ष' के रूप में किया है.
सन १९८२ में, त्रिचनापल्ली में अखिल भारतीय सीमेंट वर्कर्स का सम्मलेन बुलाया गया था. स्टेज पर मैं रामानुजम साहब के बगल में बैठा था. उन्होंने धीरे से मुझसे कहा, "डोंट स्पीक इन हिन्दी हियर." मैं इस विषय में जागरूक था कि तमिल भाषी इलाका होने के कारण यहाँ भाषा बड़ा मुद्दा बनाया हुआ था. अत: मैंने पहले से अपना पांच मिनट का भाषण एक तमिल मित्र से हिन्दी लिपि में लिखवा कर उच्चारणों का अभ्यास करके रखा हुआ था. जब मैंने अपना भाषण, "वन्कुम, थिरु रामानुजम गरु ..." से शुरू किया तो पाण्डाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा. बाद में रामानुजम साहब ने मुझसे पूछा, "ह्वैर डिड यु लर्न टैमिल?" मैंने उनको सच्चाई बताई तो वे बहुत खुश हुए. उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण तमिल में दे कर भाषा विवाद पर हिन्दी भाषियों की बहुत तारीफ़ की.
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