चमनलाल खन्ना चौड़ी बाजार में ऊनी कपडे व कम्बलों का व्यवसाय करते हैं, पर उनका दिमाग रात-दिन शेयर मार्केट में चलता रहता है. उनको इन्वैस्टमेंट के इस बिजनेस में महारत हासिल है. वैसे भी वे काफी चतुर-चालाक इंसान हैं. एक दिन एक देहाती सा दिखने वाला आदमी उनके शोरूम के दरवाजे पर आकर बैठ गया. उन्होंने उसको नोटिस किया. जब वह उनकी ओर लगातार नजरें गड़ा कर देखने लगा तो उन्होंने उसको अन्दर बुलाया और पूछा, “क्या बात है भाई कैसे बैठे हो?”
वह अधेड़ उम्र का था. मैले कपडे पहने हुए था. बड़े संकोच के साथ उसने अपनी जेब से एक सौ रुपये का नोट निकाला और खन्ना जी की तरफ बढ़ा दिया. मुस्कुराते हुए बोला, "इसको चला दो. मुझको ५० रूपये दे दो.”
खन्ना जी ने नोट को देखा-भाला. उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है? फिर उन्होंने बड़ी चतुराई से कहा, “तू ऐसा कर, कल ले जाना. अभी मेरे पास खुल्ले नहीं हैं.”
वह आदमी, “अच्छा बाबू जी,” कह कर चला गया. खन्ना जी ने अपने मुनीम को पड़ताल के लिए पंजाब नेशनल बैंक में भेजा. मुनीम ने आकार बताया कि नोट असली है. खन्ना जी को फिर भी माजरा समझ में नहीं आया. अगली सुबह जब वह देहाती आया तो खन्ना जी ने उसको ५० रूपये दे दिए. वह खुश हो गया लेकिन गया नहीं, वहीं बैठ गया. खन्ना जी ने कुछ देर में उससे पूछा, “अब क्या है?” तो उसने सौ रुपये का एक और नोट अपनी अंटी में से निकाल कर बढ़ा दिया. इस पर खन्ना जी कहा, “भाई तू कल ही ले जाना अभी छोटे नोट बिलकुल नहीं हैं.” ये सुन कर वह चला गया. और दूसरी सुबह उसी भोलेपन से उपस्थित हो गया. इस बीच खन्ना जी ने पहले ही की तरह नोट बैंक भेज कर इन्फ्रारेड मशीन से जाँच कराई तो पाया नोटों में कोई खराबी नही थी. अत: उसके आते ही उन्होंने ५० रूपये उसे थमा दिए. इस बार उसने एक साथ दो नोट निकाले और खन्ना जी को दे दिये. बोला, “मुझे बैक जाने में डर लगता है. आप खुल्ले करवा दें. मैं ५० के भाव पर ही आपसे ले लूंगा.”
खन्ना जी को बिना मेहनत फायदा हो रहा था वे लालच में आ गए. नोट लेते हुए उन्होंने पूछा, “तेरे पास और कितने नोट है?” देहाती ने संकोच करते हुए संख्या तो नहीं बताई पर हाथ फैला कर कहा, “इतने सारे हैं. मुझको और मेरे भाई को एक मकान की सफाई में मिले थे.” खन्ना जी ने उसी वक्त मुनीम को बैंक भेजा नोटों की जाँच कराई तो पाया नोट असली हैं. अब तुम दोनों भाई सब नोट एक साथ ले आओ मैं तुमको इसी हिसाब से ५० रुपये के नोट दे दूंगा.”
देहाती ने बडे भोलेपन से कहा, “यहाँ पुलिस छीन लेगी तो?”
खन्ना जी थोड़ा सोच कर बोले, “तुम लोग मेरे घर पर आ जाना,” और मुनीम से कहा कि उसको घर बता आये.
मुनीम उसको साथ ले जाकर खन्ना जी का घर बता आया. देहाती बोल कर गया कि वह रात को अपने भाई के साथ आएगा. उधर खन्ना जी ने दो लाख के ५० के नोटों के साथ-साथ नोटों की परख के लिए एक बैंक कर्मी और सुरक्षा के लिए ४ आदमियों का इंतजाम किया. रात आठ बजे वे दोनों भाई एक बड़े थैले में नोटों के बण्डल लेकर आये. बैठक में बिठा कर पहले उनके नोटों को जांचने का काम शुरू हुआ. सब सही पाए गए फिर जब ५० के नोटों की गिनती हो रही थी तो अचानक पुलिस का छापा पड़ गया. थानेदार के साथ चार सिपाही भी थे. आते ही पहले एक एक डंडा सबको दे मारा फिर थानेदार ने रोबीले अंदाज में पूछा, “ये क्या हो रहा है? जुआ खेला जा रहा है?”
खन्ना ने कहा कि कुछ हिसाब कर रहे हैं.
थानेदार बोला, “मुझे मालूम है तुम कैसा हिसाब करते हो. सब साले दो नम्बर का धन्धा करते हो.” सारे नोट समेट कर कहा जीप में बैठो, और चलो थाने, अब हिसाब वहीं करना.”
ये सब इतनी आनन्-फानन में हो गया कि खन्ना जी कुछ समझ नही पाए. घबराहट में सभी थे. जीप में बैठ गए. डर के मारे देहाती भाई ज्यादे ही काँप रहे थे. उनमें से एक ने खन्ना जी की तरफ इशारा बताते हुए थानेदार से कहा, “हजूर, इनको छोड़ दो रुपयों के इस हिसाब में इनका कोई लेना-देना नहीं है.”
थानेदार ने कहा, “तू उतर, फालतू जमा हो गया.”
इस प्रकार खन्ना जी को उतार कर जीप थाने की ओर चल पडी. रास्ते में देहाती के निवेदन पर पहले बैक कर्मी को फिर मुनीम को भी उतार दिया गया. खन्ना के टीम के अन्य सभी सदस्यों को भी इसी रास्ते में उतार कर जीप चली गयी.
उधर खन्ना जी को पुलिस पर बड़ा गुस्सा आ रहा था. उनके दिमाग में अपने दोस्त विधायक जी का ख्याल आया, तो तुरन्त ही फोन मिलाया और उनको पुलिस की ज्यादती की सारी वारदात कह सुनाई. विधायक जी आधे घन्टे में अपनी गाड़ी सहित आ पहुंचे.और खन्ना जी के साथ सीधे थाने पहुंच गये.
विधायक जी ने थानेदार जी को आदर से नमस्कार करते हुए कहा, “ये खन्ना जी मेरे मित्र हैं, शरीफ व्यौपारी है.”
थानेदार बोला, “आप इलाके के मालिक हैं. मेरे लायक सेवा फरमाइए?”
विधायक जी ने कहा, “इनके घर से अभी आप जो करीब ४ लाख रूपये जब्त करके लाये हैं वह अवैध धन नहीं है. इनको लौटा दीजिए.”
थानेदार भौंचक्का रह गया. बोला, “हमने तो कोई रुपया जब्त नहीं किया.”
विधायक ने खन्ना की तरफ देख कर इशारा किया, “बताओ.”
खन्ना जी ने कहा, “ये थानेदार साहब तो नहीं थे.”
“तो कौन था?” थानेदार ने कहा. थाने के परिसर के सभी सिपाहियों को बुलाया गया. उनमें से कोई भी नहीं था ऐसा खन्ना ने देख कर तस्दीक किया.
थानेदार ने कहा, “इस इलाके में मेरे अलावा तो कोई और थानेदार है ही नहीं. आपको जरूर कोई ठग कर रूपये ले गया”
दूसरे दिन अखबार की सुर्ख़ियों में था, "नोट असली, पुलिस नकली."
***
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें