बुधवार, 28 सितंबर 2011

प्रसंगवश


मेरे एक पाठक ने मुझको लिखा है कि उसकी पढ़ने की आदत बिलकुल छूट गयी थी, लेकिन जब से वह मेरे ब्लॉग पर लिखे कथा-कहानियो को पढ़ने लगा है, उसको पढ़ने में बहुत आनंद आने लगा है.

आज से लगभग ३००० वर्ष पूर्व तक कागज का आविष्कार नहीं हुआ था इसलिए पीढ़ी दर पीढ़ी शिक्षा गुरु से शिष्य को, पिता से पुत्र को या माता से पुत्र-पुत्री को मौखिक सुना कर दी जाती थी. हमारे वेदों को श्रुति इसीलिये कहा जाता है क्योंकि इनको सुन-सुना कर ही अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाता था.

आज इक्कीसवीं सदी में हमारे पास तमाम विधाओं का विचार, आविष्कार और इतिहास की धरोहर अगली पीढ़ी को देने के लिए तथा उसे सुरक्षित रखने के अनेक साधन उपलब्ध हैं. नई पीढ़ी पहले से बहुत जानकारी रखती है. लेकिन जानकारी की दिशा शुद्ध वैज्ञानिक होने के कारण कई बार छोटे-छोटे ऐतिहासिक तथ्य सामने नहीं आते हैं कुछ इसी प्रकार के मजेदार प्रसंग प्रस्तुत हैं:
                                 (१)
मध्य युग में मंगोलिया का शासक तैमूर लंग बड़ा क्रूर था और विश्व विजयी होने के सपने देखता था. उसे लंग इसलिए कहा जाता था क्योंकि वह एक पैर से लंगड़ा था. उसने परसिया के बादशाह को युद्ध में हरा दिया और जब परसिया के बादशाह को उसके सामने पेश किया गया तो वह जोर-जोर से हँस पड़ा. क्योंकि परसिया का बादशाह शक्ल से बदसूरत व एक आँख से काना था, पर था बड़ा विद्वान. तैमूर को हँसते देख कर वह बोला, तैमूर तू मेरी शक्ल पर हँस रहा है, ये तो अल्लाह की देन है, तू मुझ पर नहीं अल्लाह पर हँस रहा है.

तैमूर लंग बोला, नहीं भाई, मैं इसलिए नहीं हँस रहा हूँ कि तू बदसूरत-काना है, मैं तो इसलिए हँस रहा हूँ कि अल्लाह ने कैसे-कैसे लोगों को बादशाहत दी है? तू काना है और मैं लंगड़ा. जा मैं तुझे आजाद करता हूँ.
                                    (२)
अमेरिका के हेनरी फोर्ड एक समय दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे. वे फोर्ड मोटर कंपनी के मालिक थे, पर बहुत ही मितव्ययी थे. उनका कोट पुराना हो गया था और कहीं कहीं से धागे निकल रहे थे यानि फटने लगा था. उनके सेक्रेटरी ने उनसे कहा, अब आपको नया कोट बनवा लेना चाहिए.

वे बोले यहाँ मुझे सब लोग पहचानते हैं. फटा पहनूं या नया पहनूं कोई फर्क नहीं पडेगा.

सेक्रेटरी निरुत्तर हो गया. उसके बाद कुछ दिनों के अंतराल में किसी कार्यवस फ्रांस जाना था. सेक्रेटरी ने फिर उनसे कहा, अब तो आपको नया कोट बनवा ही लेना चाहिए.

इस पर फोर्ड साहब ने कहा मुझे वहाँ कोई नहीं पहचानता है. फटा पहनूं या नया पहनूं कोई फर्क नहीं पडेगा.
                                      (३)
यूनान का शासक अलेक्जेंडर, जिसको सिकंदर भी कहा जाता है, के अनेक किस्से हैं. एक बार उसने अपने अभिन्न मित्र, जो सेनापति भी था को कोई गुप्त बात बताई और कहा कि इसे किसी को बताना मत.

थोड़े दिनों के बाद गुप्तचरों ने खबर दी कि वही बात पूरी सेना में फ़ैली हुई है जो कि सिकंदर ने सेनापति को बताई थी. सिकंदर को अपने मित्र पर बहुत गुस्सा आया. उसको गिरफ्तार कर फाँसी की सजा सुना दी.

ये बात जब सिकंदर के गुरु अरिस्टोटिल उर्फ अरस्तू को मालूम हुई तो उसको बड़ा अफ़सोस हुआ क्योंकि वह सेनापति बहुत योग्य व्यक्ति था. अरस्तू ने आकर सिकंदर से पूछा, सेनापति को मौत की सजा क्यों सुनाई गयी है? तो उसने अपने गुरु को सारी बात बताई.

अरस्तू ने उसकी बात सुनने के बाद कहा, इसमें पहली गलती तुम्हारी है. यदि गुप्त बात बताने की सजा मृत्युदंड है तो पहली फाँसी तुमको होनी चाहिए.

इस प्रकार सेनापति बरी हो गया.
                                   (४)
जार्ज बर्नार्ड शा से मिलने एक सज्जन आये. करीब एक घंटा वे उनके साथ रहे. जार्ज अपनी आदत के अनुसार खूब मजेदार हंसी-मजाक की बातें मेहमान से करते रहे. जाते समय मेहमान ने मैडम शा से कहा, मैडम, शा साहब से मिलकर बहुत आनंद आया. आप तो इनके साथ रहती हैं तो हमेशा इनकी खुशगंवार बातों में आनंदित रहती होंगी?

इस पर श्रीमती शा मुँह बिगाड़ कर बोली, मैं तो इसके सड़े लतीफे सुन-सुन कर तंग आ गयी हूँ. कभी कभी तो मन करता है कि इसका मुँह नोच लूँ.
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मेरा लेखन मोनोटोनस न हो जाये इसलिए मैं अलग-अलग विधाओं में लिख कर अपने प्रिय पठाकों को श्रीमती बर्नार्ड शा की स्थिति में आ जाने से बचाना चाहता हूँ.
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