संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘नेशनल केव्स एसोसिएसन’ बनाया हुआ है. वृतांत के अनुसार इस राष्ट्रीय संस्थान के अंतर्गत बयानब्बे ऐतिहासिक व दर्शनीय गुफाएं हैं, जिनका विस्तृत वर्णन प्रचार माध्यमों तथा इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध रहता है.
जार्जिया के उत्तर में लगता हुआ जो राज्य है, उसका नाम टेनेसी है और उसी के चेटानूगा शहर में माउंट एटना के अन्दर एक अनोखी गुफा है, जिसे ‘रूबी फाल केव’ के नाम से जाना जाता है. इस झरने की खासियत ये है कि दरार नुमा गुफा के अन्दर खड़े होकर जाने लायक टेढा-मेढा रास्ता बना कर, लगभग एक किलोमीटर अन्दर प्रकृति के करिश्मे को दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित किया गया है.
यह पानी का झरना १४५ फीट ऊंचाई से नीचे कुण्ड में गिरता है. पानी की निकासी अन्दर ग्राउंड करके बाहर टेनेसी नदी में की गयी है. गुफा के अन्दर लगभग ५०० लाइटें इस सुन्दर ढंग से लगाई गयी है कि नयनाभिराम लगती हैं. कहीं कहीं रंगीन रोशनी लगा कर भव्य बनाया गया है.
बताया गया है कि सन १९२३ में लियो लेम्बर्ट ने इसकी खोज का काम शुरू किया था पर मूर्त रूप दिया गया १९२८ के बाद. पहले केवल रेंगकर जाने लायक जगह थी, जिसे १९५४ में खड़े होकर जाने लायक बनाया गया. अब पुराना गेट बंद कर दिया है और पहाड़ के ऊपर एक नृत्य-घर में से ड्रिल करके ११२० फुट गहराई में गुफा तक लिफ्ट-एलिवेटर लगाकर नया रूप दे दिया गया. ये लिफ्ट-एलिवेटर सन १९७० में लगाई गयी. इस कार्य में माइनिग इंजीनियरों की सहायता ली गयी. यह भी कहा गया है कि जिन लोगों ने इसकी खुदाई-कटाई में काम किया वे बड़े बेहाल रहे. कईयों का पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. आर्थिक तंगी के कारण कुछ लोगों ने गुफा के अन्दर से नेचुरल ग्रोथ वाली सुन्दर वस्तुओं को बेच डाला था. यही नहीं, चोर-उचक्कों ने भी बहुत सी मूर्तिनुमा व चिकनी-चमकीली वस्तुओं को वहाँ से निकालने में कसर नहीं रखी.
आर्कियोलौजिकल सर्वे के अनुसार गुफा के अन्दर की प्राकृतिक बनावट ३ करोड वर्ष पुरानी है. जगह-जगह ऊपर से चूना-पानी टपकता है और लाइम जमने की वजह से ऊपर से बोतल बनते है तथा नीचे अथवा दीवारों पर तरह तरह की आकृतियाँ बन जाती हैं. हालाँकि ये बहुत धीमी प्रक्रिया है.
मैं जब गुफा के अन्दर विचित्रता को निहार रहा था तो मुझे अपने जन्मस्थान गौरीउडियार की गुफा बहुत याद आ रही थी क्योंकि वहाँ भी विशाल सुन्दर उडियार (गुफा) की छत इसी तरह जगह जगह टपकती है. मेरा अनुमान है कि ये भी उतनी ही पुरानी होंगी जितनी अन्य प्राकृतिक गुफाए हैं. चूना-पानी यहाँ भी ऊपर से बोतल बनाते हुए टपकता है और नीचे भी ग्रोथ बढते रहते हैं. कई जगह तो ऊपर के बोतल व नीचे की ग्रोथ मिल गए हैं जो स्तंभनुमा लगते हैं. गुफा के अन्दर मध्य में रेंग कर घुसने के दो द्वार भी हैं, जिनका अन्वेषण अभी तक नहीं हुआ है. गुफा को मंदिर का रूप दिया हुआ है. माँ गौरी व भगवान शंकर की मूर्तियां यहाँ स्थापित है.
भारत में इस तरह की हजारों प्राकृतिक दर्शनीय गुफाए मौजूद हैं, जिनका व्यवसायिक रूप में विकास नहीं किया गया है. ये कला अमरीकियों को बखूबी आता है. हर दर्शनीय को व्यवसायिक स्तर पर विकसित कर दिया जाता है.
लियो लेम्बर्ट ने इसे अपनी पत्नी रूबी को समर्पित करते हुए इसका नाम रूबी फाल रखा. ऊपर पहाड़ पर जहां से लिफ्ट-एलिवेटर के लिए ड्रिल किया गया वहाँ गिफ्ट शाप व रेस्टोरेंट भी खोल दिए गए हैं. बिल्डिग के टॉप पर जाकर चेटानूगा शहर का विहंगम दृश्य भी देखा जा सकता है.
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