शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

चुहुल - ७


                                  (१)
एक लड़का एक लड़की को नए नए तरीकों से छेड़ा करता था. एक दिन लड़की को आता देख वह पास में खड़े गदहे को हाथ जोड़ कर नमस्कार की मुद्रा में आ गया. लड़की समझ गयी और पास आकार व्यंग में बोली, क्या अपने बड़े भाई को प्रणाम किया जा रहा है ?
लडका संजीदगी से मुस्कुराते हुए बोला, हाँ भाभी जी.”   
                                   (२)
एक वैद्य जी अपने साथ अपने एक नौसीखिए चेले को भी साथ रखते थे और उसको वैद्यक के तौर तरीके सिखाते रहते थे. एक बार एक गाँव में वे एक बीमार को देखने के लिए गए. बीमार खाट पर था, वैद्य जी ने नाड़ी पकड़ी और पूछा, आम खाए थे ?
बीमार बोला, हाँ, वैद्य जी.
वैद्य जी ने दवा दी और सलाह दी कि बुखार में आम खाना वर्जित है.
जब वे वापस चले तो रास्ते में चेले ने वैद्य जी से पूछ लिया, "नाडी देख कर आम खाने की बात आपने कैसे पकड़ी?
वैद्य जी ने बताया कि नाड़ी से आम नहीं पकडे जा सकते है. आस-पास भी देखना चाहिए. खाट के नीचे आम के छिलके व गुठलियाँ पडी थी सो अंदाजा सही निकला.
चेले के समझ में आ गया कि कामनसेंस भी लगाया जाना चाहिए.
कुछ दिनों के बाद वैद्य जी तो किसी काम से बाहर गए हुए थे. ठाकुर साहब के घर से बुलावा आ गया. उनकी अनुपस्थिति में चेले को मौक़ा मिल गया. जा कर पहले उसने ठाकुर साहब के पलंग के नीचे झाँका तो वहाँ देखा घोड़े की जीन पडी थी. चेले ने पूछ लिया, घोड़ा खाया था?
ठाकुर साहब सुन कर स्तब्ध रह गए. जब दुबारा उसने पूछा, घोड़ा खाया था?तो उनका पारा चढ गया और चेले की अच्छी धुनाई करवा डाली.
                                    (३)
एक नेता जी हरित क्रान्ति पर भाषण दे रहे थे, "अनाज व दालों का उत्पादन बढ़ाना जरूरी है..."
एक लड़के ने बीच में व्यंग करते हुए कहा, चारे के बारे में आप कुछ नहीं कह रहे हैं.
नेता जी ने पलटवार करते हुए जवाब दिया, अभी मैं इंसानों की खुराक की बात कर रहा हूँ. आपकी खुराक की बात बाद में करूँगा.
                                     (४)
किसी शरारती ने सड़क के किनारे चपटे पत्थर पर लिखा था, इस पत्थर को पलटोगे तो तुम भी कुछ बन जाओगे.
एक आदमी ने जब उत्सुकतावस पत्थर पलटा तो लिखा था, बन गए ना उल्लू.
                                      (५)
एक जेंटलमैंन एक रेस्टोरेंट में गया. बैरा से कहा, एक चाय ले आओ.
बैरा बोला, चाय कौन सी लाऊं? दस रूपये वाली, पांच रूपये वाली, दो रूपये वाली, या पचास पैसे वाली?
ग्राहक ने थोड़ा सोचा फिर बोला, पचास पैसे वाली ले आ.
थोड़ी देर में बैरा चाय ले आया. चाय क्या थी धोवन जैसी थी. बैरा जब चाय का प्याला रख कर जाने लगा तो ग्राहक ने उसे वापस बुलाया, कप में मक्खी की तरफ अंगुली इंगित करते हुए बोला, ये क्या है?
बैरा ने आँखें गडाते हुए देखा और बोला, ये मक्खी है.
ग्राहक गुस्से में था. बोला, मक्खी डाल कर क्यों लाया?
बैरा बोला, सर, पचास पैसे में घोड़ा डाल कर तो ला नहीं सकता."

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