ये वो शेरा और फकीरा नहीं हैं जो किसी अष्टतंत्र बुक में थे. ये तो अनगढ़ गाँव के दो शैतान छोकरे हैं जो अपनी बदमाशियों के लिए सारे गाँव में बदनाम हैं. इनके माँ बाप भी इनसे तंग आये रहते हैं क्योंकि ये स्कूल जाते नहीं हैं और किसी का कहना भी नहीं मानते हैं. इन दोनों की तारीफ़ ये भी है कि ये एक नम्बर के घोंचू भी हैं. घोंचू यानि बेवकूफ. आमतौर पर शैतान बच्चे होशियार भी होते है क्योंकि वे जब बदमाशी करते हैं तो बचने का बढ़िया तरीका भी ढूंढ लेते हैं. यानि उनका दिमाग चलता है. पर शेरा और फकीरा तो अलग ही तरह के प्राणी है.
एक दिन इन दोनों ने गाँव के कुँवे के अन्दर गोबर डाल दिया. क्यों डाला? ये किसी के समझ में नहीं आया पर इन्होंने की बड़ी भारी गलती. नतीजा ये हुआ कि सारे गाँव वालों का पारा आसमान में चढ़ गया. ये बदमाश कहीं पेड़ के ऊपर चढ़ कर छुप गए, सो देख लिए गए, पकडे गए. खूब तो पिटाई हुई और सबने मिलकर तय किया कि इनको गाँव बदर कर दिया जाये. गाँव बदर यानि गाँव की सीमा से बाहर खदेड़ना. अब क्या था उत्साही लोगों ने इनकी बुरी गत बनाते हुए बारह पत्थर बाहर कर दिया.
अब इनकी समझ में आ रहा था कि शैतानी करने में क्या मजा आता है. मजबूरी थी सो अगले गाँव सुगढ़ की तरफ चले गए, जहाँ इनको कोई नहीं पहचानता था. गाँव में घुसने से पहले दोनों ने मशविरा किया कि पहले किसी घर में घुस कर पेट पूजा कर ली जाये क्योंकि दोनों के ही पेट में चूहे कूदने लगे थे.
गाँव के एक छोर पर एक मकान का आधा दरवाजा खुला देखा तो ये दबे पाँव अन्दर घुस गए. ये शुक्र था कि गाँव के किसी कुत्ते को भनक नहीं लगी अन्यथा गाँव के कुत्ते तो बड़े खतरनाक काटू होते हैं. किसी अनजान को हैरान करने की क्षमता रखते हैं. कुत्तों में एक खास बात ये भी होती है कि एक भौंका तो सारे भौंकने लगेंगे और शिकार को घेर लेंगे.
हाँ तो फिर जब शेरा और फकीरा कोने वाले मकान में घुसे तो देखते क्या हैं कि घर की मालकिन एक बुढ़िया-दादी खाट पर एक हाथ सिराहने लगाकर गहरी नींद में सो रही थी. उसको डिस्टर्व किये बगैर वे सीधे रसोई की तरफ लपक लिए. वहाँ पर कोयलों की आंच में बुढ़िया ने खीर की हाँडी रखी थी ताकि वह अच्छी तरह पक जाये.
शेरा बोला, “यार, फकीरा मजा आ गया.”
फकीरा बोला, “सो तो ठीक है पर बुढ़िया की हथेली खुली हुई है, वो भी मांग रही है. थोड़ी सी खीर उसमें डाल देना ठीक रहेगा, नहीं तो पाप लगेगा.”
शेरा ने पूछा, “अगर वह जाग गयी तो क्या होगा?”
फकीरा बोला, “तू ऐसा कर ऊपर दुछत्ती में जाकर छुप जा. अगर बुढ़िया जाग गयी तो मैं खाट के नीचे घुस जाऊंगा.”
इस प्रकार शेरा ऊपर दुछत्ती में घुस कर छुप गया और फकीरा करछी में गरम गरम खीर लेकर आया और बुढ़िया की खुली हथेली में डाल कर खुद खाट के नीचे सरक कर छुप गया.
बुढ़िया को जागना ही था. वह जलन के मारे चिल्लाने लगी. उसकी चिल्लाहट सुन कर आस-पास घरों से लोग-लुगाईयाँ निकल कर आ गये. और चिल्लाने का कारण जानने के लिए बेताब होने लगे.
एक ने पूछा, “दादी क्या हुआ?”
दादी बोली, “क्या बताऊँ बेटा, मैं तो आराम से सो रही थी पता नहीं कैसे ये करछी गरम-गरम खीर लेकर मेरे हाथ में आ गयी.”
थोड़ी देर में एक अन्य लड़के ने पूछा, “अम्मा क्या हुआ कुछ बताओ तो सही?”
वह बोली, “खीर की करछी खुद उड़ कर मेरे हाथ में आई और मेरा हाथ जल गया.”
इतने में एक लड़की ने फिर पूछ लिया, “दादी ये हुआ कैसे?”
दादी थोड़ा झल्ला कर बोली, “अरे बेटा, ये तो ऊपर वाला ही जानता है कि खीर कैसे हाथ में आई.”
यों भीड़ इकट्ठी होती जा रही थी. प्रधान जी आ गए. पूछने लगे, “चाची क्या हुआ?”
बुढ़िया सवालों के जवाब देते देते तंग आ चुकी थी. बोली, “ये सब ऊपर वाले की करामात है.”
शेरा ऊपर दुछत्ती के अन्दर से बार बार ये इल्जाम सुन रहा था कि ‘ऊपर वाले की करामात है’ सो उसे उसे गुस्सा भी आ रहा था. जब उससे नहीं रहा गया तो बाहर मुँह निकाल कर जोर से बोला, “ऐ बुढ़िया! बार बार मेरा नाम लगा रही है. खीर तो नीचे वाले ने डाली है.”
अब लोगों की समझ में सारा माजरा आया और दोनों को पकड़ कर फिर धुनाई हुई. दोनों को काफी देर तक मुर्गा बना कर रखा गया तथा भविष्य में शैतानी न करने की कसमें दिला कर छोड़ दिया गया.
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