मुनारगढ़ नवाब तसद्दुक हुसैन का बचपन का नाम तब्बू था. अकबर की ही तरह उनको भी १६ साल की उम्र में गद्दी पर बैठना पड़ा क्योंकि उनके वालिद बीमारी के कारण जल्दी ही दुनिया छोड़ कर चले गए थे.
उनकी रियासत में सब तरफ अमन चैन था. उनके पास वजीरों की एक अच्छी टीम थी, इसलिए शासन व्यवस्था चुस्त-दुरस्त थी. वे सैर सपाटे, और मौज मस्ती करने के बहुत शौक़ीन थे. जिस तरह से बहिन मायावती आज कांशीराम के ताबूत खड़े कर रही है, उसी तरह उन्होंने भी अपने अब्बा हुजूर के दर्जनों ताबूत खास-खास मुकामों पर लगवाए. वे उनको याद कर के अक्सर खिरादे अकीकद (श्रद्धांजलि) पेश किया करते थे. उन्होंने लंबे समय तक गद्दी सम्हाल कर रखी थी.
अधेड़ उम्र में जब वे एक बार हमेशा की ही तरह लाव-लश्कर के साथ हाथी की सवारी में घूमने निकले तो रास्ते में एक गरीब, फटेहाल, बूढ़े आदमी ने उनको देखा तो वह चिल्ला कर उनको आवाज देने लगा, “ओ तब्बू.”
नवाब तक उसकी आवाज नहीं पहुँची क्योंकि नवाब तब अपनी बेगम के साथ बातों में व्यस्त थे. जब उसने तीन चार बार पुकारा तो साथ में चल रहे दरोगा को बड़ा बुरा लगा. कि कोई सड़क-छाप इस तरह हुजूर को आवाज दे रहा था. अत: उसने सिपाहियों से कहा कि उसे पकड़ कर ले जाये और अगले दिन हाजिर करे, ताकि कोई सजा सुनाई जा सके. सिपाहियों ने देर नहीं की और बूढ़े आदमी को हिरासत में ले लिया.
अगले दिन उसे नव्वाब साहब के सामने हाजिर किया गया और इल्जाम सुनाया कि वह हुजूर की शान में गुस्ताखी कर रहा था, ‘तब्बू’ नाम लेकर आवाज दे रहा था.
ये सुन कर नवाब के आँखों में आंसू छलक आये और वे गद्दी से उठ कर उस बूढ़े आदमी के पास जाकर उसके गले लग गए. सारे दरबारी लोग इस दृश्य को देखकर हैरान थे.
नवाब ने उस बूढ़े आदमी को बहुत इज्जत से बैठाया और कहा, “ये बाबा तो मेरे अब्बू के दौर का आदमी है, इनको मेरे बचपन का नाम याद है. मैं बहुत किस्मत वाला हूँ कि मुझे अपने एक बुजुर्ग से मिलने का सौभाग्य मिल रहा है".
नवाब ने उस बूढ़े को बहुत सी दौलत दे कर सम्मान दिया और कहा कि वह जब चाहे आकर उनसे मिल सकता है.
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rochak kahani ...accha laga padhkar :-)
जवाब देंहटाएंरोचक और हमारे नेताओं के लिए प्रेरणास्पद कहानी| काश आज के बड़े आदमी भी तब्बू की इस कहानी से प्रेरणा लें
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
RajputsParinay
भारतीय तहजीव की मिशाल है ये-उत्तम है--केवल
जवाब देंहटाएंशेखावत जी आपके ब्लॉग पर दी जारही महत्ती जानकारी बहुत उपयोगी होती है.मैं ३५ वर्ष राजस्थान में सर्विस करके १२ वर्ष पूर्व रिटायर हुआ हूँ. राजस्थानी परिवेश में आपका मिशन मुझे बहुत पसंद है. धन्यवाद.
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