अल्मोड़ा से बागेश्वर मोटर मार्ग में एक मुकाम आता है, ताकुला. ताकुला के उस पार सात गाँवों का एक फैला हुआ समूह है सतराली. सतराली में ही एक धार (खड़ी पहाड़ी) का नाम पड़ा है, फाँसी की धार. ये नाम इसलिए पड़ा कि बरसों पहले बहुत सी बहुओं ने यहाँ समय समय पर फाँसी लगा कर मृत्यु का वरण किया था.
आज समय, परिस्थितियाँ बिलकुल भिन्न हो चुकी हैं, लेकिन पुराने वर्षों में ऐसा होता था कि कभी-कभी विभिन्न कारणों के वशीभूत औरतें गले में फंदा लगा कर जीवन की इहलीला समाप्त कर लेती थी. यह एक दु:खद सोपान है, कमजोर मानसिकता का द्योतक भी है. यह कटु सत्य अनेक लोक गाथाओं व गीतों में यहाँ आज भी सुनाई देता होगा.
जैन्तुली की सास बड़ी कर्कश व अत्याचारी थी. पता नहीं सास क्यों भूल जाती हैं की वो भी कभी बहू थी. उसका पति गोबर्धन परदेश गया तो कई साल तक लौटा नहीं. वह अनपढ़ थी, मनुष्य प्रबल कमजोरियों से ग्रस्त थी. आज का वक्त होता तो कुछ और बात होती क्योंकि लड़कियां शिक्षित हो चुकी हैं, अच्छे-बुरे का फर्क समझती हैं.
उन दिनों नवविवाहित पत्नियों को यह त्रासदी झेलनी ही पड़ती थी कि पति काम की तलाश में दिल्ली, लखनऊ या फ़ौज में चले जाते थे तो उनके लौटने का बरस-बरस तक इन्तजार करती रहती थी. अब मगर ऐसा नहीं है. शादी होते ही नववधू पति के साथ जाने को तत्पर रहती है. कोई विरली ही ऐसी होगी जिसे घर की परिस्थितियों की वजह से बस गाँव में खेती के मेहनती काम करने को मजबूर होना पड़ता है.
जैन्तुली की कहानी बड़ी मर्मस्पर्शी व ह्रदय विदारक है सास भरपेट भोजन भी नहीं देती थी. हर वक्त काम में जोते रखती थे तथा अपशब्दों से डांटती रहती थी. ऐसे में गाँव के एक लड़के शंकर के द्वारा प्यार भरे शब्दों व गोला-मिश्री दिए जाने ने उसे अभिभूत कर दिया. कहते हैं कि इश्क और मुश्क छुपाये नहीं छुपता है. उसकी सास को जब इस बात की भनक लगी तो उसे जलती लकडियों से बुरी तरह पीट डाला. अगली सुबह गाँव में हल्ला हो गया कि गोबर्धन की घरवाली ने फाँसी लगा ली है.
पटवारी आया. पंचनामा हुआ. लाश को जला दिया गया. चूंकि उसके शरीर पर जलाने के निशान थे जो सास के अत्याचारों की कहानी मुँहबोल रहे थे इसलिए उसको गिरफ्तार करके अल्मोड़ा जेल को रवाना कर दिया गया.
गोबर्धन को तार द्वारा खबर दे दी गयी. चौथे दिन वह घर आ पहुँचा. वह निष्ठुर निर्मोही आज लोगों की बातों से इतना द्रवित हो गया कि रात में उसी धार पर खुद भी फाँसी लगा कर लटक गया.
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