अमावस की संध्या, दीपों का गजरा,
शरद की सुहानी वायु के झंझे,
बाती पे कैसा ज्योति का पहरा!
अँधेरे उजाले जनम से हैं उलझे,
ऐसे में प्रियवर, कुछ बुलबुले बुन,
सुन्दर सलौने शब्दों का गजरा,
तुम्हारी कुशल की सकल कामनाएं,
तुम्हें भेजता है मेरा ये हियरा.
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बहुत खुबसूरत, क्या बात है.....
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई |
ब्लाग द्वारा अपने ग्यान भन्डार को बाट कर आप अपना शौक पूरा करने के साथ साथ पुण्य भी अर्जित कर रहे है- जितनी भी प्रसशा की जाए कम है.
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